प्रॉपर्टी मार्केट में क्यों दिल्ली और मुंबई से आगे निकल गए साउथ के ये शहर?

उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत के कुछ शहरों में प्रॉपर्टी मार्केट में ज्यादा स्थिरता देखी जा रही है. जहां दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे शहरों में लग्जरी घर बिक रहे हैं, वहीं चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहरों में किफायती घर ज्यादा बिक रहे हैं.

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साउथ के शहरों में बिक रहे हैं किफायती घर साउथ के शहरों में बिक रहे हैं किफायती घर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

भारत के रियल एस्टेट मार्केट में अलग तरीके का बदलाव देखा जा रहा है. हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे दक्षिण भारत के शहर, बिक्री और नई लॉन्चिंग के मामले में परंपरागत रूप से बड़े माने जाने वाले दिल्ली-एनसीआर और मुंबई से आगे निकल रहे हैं. प्रॉपर्टी में निवेश को लेकर जहां दिल्ली मुंबई की बादशाहत हुआ करती थी, अब उन्हें साउथ के कई शहर पीछे छोड़ रहे हैं. कुछ दिन पहले ही एक खबर आई थी कि चेन्नई देश का सबसे भरोसेमंद प्रॉपर्टी मार्केट बनकर उभरा है. 

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कुछ हालिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ समय-सीमा में दक्षिणी शहरों ने बाजार में अधिक लचीलापन और वृद्धि दिखाई है. हालांकि दिल्ली-एनसीआर में भी बिक्री में अच्छी वृद्धि हुई है, लेकिन दक्षिणी बाजार अपनी निरंतर मांग बनाए रखने में सफल रहे हैं. खासतौर पर किफायती घरों के मामले में दक्षिण भारत के शहर आगे रहे हैं. 

क्यों साउथ के शहर हैं आगे?

सिलिकॉन वैली बेंगलुरु आईटी प्रोफेशनल और कई स्टार्टअप का केंद्र है. देश भर के युवा यहां बेहतर करियर की तलाश में पहुंच रहे हैं और अपने लिए घर खरीद रहे हैं. वहीं हैदराबाद भी आईटी, फार्मा और बायोटेक्नोलॉजी का मुख्य केंद्र बन गया है. जो खासतौर पर मिडिल क्लास लोगों को आकर्षित कर रहा है. वहीं चेन्नई मैन्युफैक्चरिंग और आईटी हब है. चेन्नई में किफायती घरों की डिमांड ज्य़ादा है और लोग खरीद भी रहे हैं. मैजिकब्रिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों चेन्नई में मिड सेगमेंट के घरों की खूब सेल हुई है. 

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दक्षिण भारत के शहरों ने, विशेष रूप से बेंगलुरु और हैदराबाद में मेट्रो रेल नेटवर्क, नए एयरपोर्ट और बेहतर सड़क कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि ट्रैफिक एक चुनौती बनी हुई है, लेकिन नए क्षेत्रों का विकास नियोजित तरीके से किया जा है. मुंबई और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों की तुलना में, इन शहरों में अफोर्डेबिलिटी और प्रॉपर्टी की कीमतें अभी नियंत्रण में हैं, जिससे लोगों का भरोसा बना हुआ है.

वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में रेरा (RERA) अधिनियम अधिक प्रभावी रहा है, जिससे डेवलपर्स की जवाबदेही बढ़ी है और खरीदारों का विश्वास मजबूत हुआ है. उत्तरी भारत की तुलना में, कई दक्षिणी शहर आप्रवासियों के लिए बेहतर जीवनशैली, शैक्षणिक संस्थान और करियर के अवसर दे रहे हैं.

दिल्ली-एनसीआर और मुंबई की क्या चुनौतियां?

दिल्ली-एनसीआर में, बिक्री में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन लॉन्चिंग में अस्थिरता रही है, और यह बाजार अभी भी कुछ हद तक पुराने प्रोजेक्ट में फंसे खरीदारों की समस्याओं से जूझ रहा है. यहां हजारों ऐसे लोग हैं जो फ्लैट बुक करके सालों से पजेशन का इंतजार कर रहे हैं. 

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अगर हम मुंबई की बात करें तो यहां का हाल थोड़ा अलग है. मुंबई में प्रॉपर्टी के रेट आसमान छूते हैं. जमीन इतनी महंगी है कि आम आदमी के लिए घर खरीदना एक बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है. दूसरा बड़ा मसला है 'जगह की कमी'. मुंबई एक द्वीप शहर है, चारों तरफ से समंदर से घिरा है. इसलिए, नई जगहें बनाने के लिए जमीन है ही नहीं.

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हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई की सफलता, उनके मजबूत आर्थिक आधार, नियोजित शहरीकरण और रियल एस्टेट बाजार में बढ़ते खरीदार विश्वास का प्रमाण है. जबकि दिल्ली-एनसीआर और मुंबई अपने विशिष्ट आकर्षण और बड़े आकार के कारण महत्वपूर्ण बने रहेंगे, दक्षिणी बाजार ने दिखाया है कि वे भविष्य के रियल एस्टेट विकास का नया केंद्र हैं, जहां बिक्री और लॉन्चिंग दोनों में अधिक स्थिरता और विकास की उम्मीद है.

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