गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में स्थित Red Apple homez प्रोजेक्ट में करीब 800 खरीदारों ने 2012-13 में फ्लैट बुक किया था, लेकिन 13 साल के लंबे इंतजार के बाद भी लोगों को अभी तक घर नहीं मिला है. लोगों का आरोप है कि Manju J Homes India Ltd ने उनके साथ धोखा किया और पैसे लेकर उनको आज तक घर नहीं दिया. हालांकि बिल्डर कहना है कि प्रोजेक्ट लेट होने के कई कारण हैं, जिनमें जीडीए द्वारा नक्शा पास करने में देरी, एनओसी की समस्या, जीडीए द्वारा अप्रोच रोड पर काम न करना, सप्लायर की समस्या, ग्राहकों की मांगें और कानूनी चुनौतियां शामिल हैं.
देरी की वजह जो भी हो लेकिन, सैकड़ों खरीदार सालों से परेशान हैं, लोन की किस्तें भरने को मजबूर हैं. एक स्कूल के टीचर सतीश कुमार बताते हैं- ' 2012 में बड़ी मुश्किल से 5 लाख रुपये का पेमेंट करके ये घर बुक किया था, वो 5 लाख जुटाने में ही 10 साल लग गए थे. उसके बाद बाकी का अमाउंट बैंक से लोन लेना पड़ा. बिल्डर को सारा पैसा भी चला गया, लेकिन घर मिलने का कोई ठिकाना नहीं है. अब हमारे लिए इतनी मुश्किल हो गई है कि लगता है सुसाइड से एक कदम पीछे हैं.'
एक और फ्लैट खरीदार आशुतोष भारद्वाज बताते हैं- '2013 में करियर की शुरुआत में ही फ्लैट बुक कराया था कि एक प्रॉपर्टी बन जाएगी, लेकिन 2015 आते-आते पता चला कि हमारे साथ फ्रॉड हुआ है. मैं इतने तनाव में था कि 2017 में पैरालाइज्ड भी हो गया. पत्नी काम करती है, तो किसी तरह घर का काम चलता है, नहीं तो जिंदगी काटना मुश्किल हो जाता. '
खंडहर बना है अधूरा प्रोजेक्ट
जब लोगों ने फ्लैट बुक कराया था उस वक्त यहां काम चल रहा था, लेकिन काम बंद होने के बाद जो अधूरा स्ट्र्रक्चर खड़ा है वो भी खंडहर में तब्दील हो रहा है. लोग इस बात से परेशान हैं कि कहीं ये भी एक दिन गिर न जाए.
Red Apple Buyers Welfare Association के अध्यक्ष अंशुल जैन बताते हैं- '2012 में ये प्रोजेक्ट लॉन्च हुआ था, हम लोगों ने बड़े अरमानों से ये फ्लैट बुक किया था. बिल्डर ने बड़े बड़े सपने दिखाए. सरकारी बैंक से लोन भी कराया, हम 800 खरीदारों ने ये सोचकर घर खरीदा कि गाजियाबाद में घर होगा. लेकिन कुछ सालों के बाद यहां पर काम बंद हो गया.' लोगों ने कुछ साल तो इंतजार किया उसके बाद मामला NCLT में गया. लेकिन इन लोगों की कानूनी लड़ाई अब भी जारी है, लेकिन घर मिलने की आस धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है.
अंशुल कहते हैं- ' जब ये केस NCLT में गया तो इसको टेकओवर करने के लिए कोई नहीं आया तो हम होम बायर्स के एसोसिएशन ने NCLT से इसे टेकओवर किया, जून 2024 में हमारा प्लान भी अप्रूव हो गया, हम लोग 2-3 महीने में इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए तैयार हो रहे थे, लेकिन पुराने बिल्डर ने अपील डाल दी वो अब इस प्रोजेक्ट को वापस खुद बनवाना चाहता है, लेकिन दिक्कत ये है कि जब वो इतने साल तक कुछ नहीं कर पाया तो अब क्या ये फ्लैट बनवाएगा.
हालांकि aajtak.in ने इस मामले में Red apple Project के बिल्डर से भी बात की तो उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए प्रोजेक्ट में हो रही देरी की वजह बताते हुए लिखा-
1- जीडीए द्वारा नक्शा पास करने में काफी समय लगा, जिससे प्रोजेक्ट की शुरुआत में देरी हुई, नक्शा 2012 में अप्लाई किया गया था और 2016 में अप्रूव हुआ था.
2. पर्यावरण संबंधी एनओसी प्राप्त करने में देरी हुई, जो 2012 में अप्लाई की गई थी और 2017 में मिली.
3.जीडीए द्वारा अप्रोच रोड पर काम न करने से ग्राहकों ने भुगतान देने से इनकार कर दिया.
4. एक सप्लायर के चेक बाउंस होने के कारण वह एनसीएलटी कोर्ट चला गया और कंपनी एक्स-पार्टी इन्सॉल्वेंट हो गई, हमने एनसीएएलटी से स्टे लिया था.
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बिल्डर का कहना है-' ग्राहकों के समूह (125 CoC सदस्य रेड एप्पल वेलफेयर एसोसिएशन) को हमने 2019 में प्लान दिया था, जिसमें हमने 2 साल का समय मांगा था, लेकिन उन्होंने हमारा प्लान रद्द कर दिया, क्योंकि वे प्रोजेक्ट स्वयं पूरा करना चाहते थे और उन्होंने अपना प्लान एनसीएलटी कोर्ट से पास करवा लिया. उनका प्लान जून 2024 में पास हो गया था, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है.'
बिल्डर प्रतीक जैन का कहना है- ' 110 FIR अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में दर्ज कराई गई हैं, जो ग्राहकों के समूह द्वारा हमारे खिलाफ दर्ज कराई गई थीं, इसके परिणामस्वरूप, हमें 2 साल तक जेल में रहना पड़ा. एनसीएलटी कोर्ट में पिटीशन फाइल की गई है, जिसमें हमने कोर्ट को बताया है कि आरएडब्ल्यूए द्वारा जो प्लान दिया गया है, उसमें कई कमियां हैं और 1 साल हो गया है, लेकिन उन्होंने प्लान को लागू नहीं किया है. हमारे पिटीशन के साथ 450 CoC सदस्यों ने भी पिटीशन फाइल की है जो प्लान के खिलाफ हैं.'
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स्मिता चंद