प्रॉपर्टी टैक्स भरना है? कैसे होता है कैलकुलेशन, जानें कैसे बचेगा आपका पैसा

प्रॉपर्टी टैक्स के नियम काफी जटिल होते हैं. क्या आप जानते हैं आपका टैक्स कैसे कैलकुलेट होता है और कौन सी सरकारी छूटों का फायदा उठाकर आप अपना पैसा बचा सकते हैं.

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टैक्स नियमों को जानें (Photo : AI Generated) टैक्स नियमों को जानें (Photo : AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:17 PM IST

प्रॉपर्टी टैक्स भरना कानूनी रूप से अनिवार्य होता है लेकिन इसके नियम-कानून काफी पेचीदा होते हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में ये नियम बदलते रहते हैं. इसी उलझन को दूर करने के लिए, आपको बताते हैं कि आपका टैक्स कैलकुलेट करने के लिए तीन मुख्य सिस्टम कौन-से हैं, किन-किन चीज़ों पर आप छूट पा सकते हैं, और अगर आप टैक्स भरने में देरी करते हैं, तो आपको किस तरह के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.

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प्रॉपर्टी टैक्स कैसे कैलकुलेट होता है?

ज़मीन और बिल्डिंग पर लगने वाला टैक्स राज्य सरकार का विषय होता है, यानी इसे तय करने का अधिकार राज्यों के पास है. इसलिए, यह बिल्कुल साफ़ है कि प्रॉपर्टी पर कितना टैक्स लगेगा और उसे निकालने का तरीका हर राज्य और शहर में अलग-अलग होता है. आमतौर पर, नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए तीन मुख्य सिस्टम इस्तेमाल करते हैं- यूनिट एरिया वैल्यू सिस्टम, कैपिटल वैल्यू सिस्टम, और एनुअल रेंटल वैल्यू सिस्टम.

उदाहरण के लिए, दिल्ली और बेंगलुरु में यूनिट एरिया सिस्टम चलता है, जहां टैक्स पहले से तय एक वैल्यू के हिसाब से बिल्ट-अप एरिया पर लगता है, जबकि मुंबई जैसे शहरों में कैपिटल वैल्यू मॉडल का इस्तेमाल होता है, जहां टैक्स सीधे प्रॉपर्टी की बाज़ार कीमत या सरकारी गाइडलाइन वैल्यू से जुड़ा होता है.

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किसी प्रॉपर्टी के मालिक के लिए टैक्स की गणना करना एक जटिल काम है, क्योंकि इसमें कई पैरामीटर शामिल होते हैं जो अंतिम टैक्स को प्रभावित करते हैं, जैसे कि प्रॉपर्टी रहने वाली (residential) है या व्यावसायिक (commercial), वह फ्लैट है या पूरा फ्लोर, साथ ही वह किस फ्लोर पर स्थित है. इसके अलावा, यह भी देखा जाता है कि प्रॉपर्टी टियर-1, टियर-2 या टियर-3 शहर में है या नहीं, और टैक्स की दर, जो आमतौर पर स्लैब के अनुसार होती है, को तय करने के लिए प्रॉपर्टी का आकार क्या है. इन सभी गणनाओं के बाद, मिलने वाली छूट अंतिम टैक्स राशि को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

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प्रॉपर्टी टैक्स में मिलने वाली प्रमुख छूटें

प्रॉपर्टी मालिक को कई तरह की छूटों की जानकारी होनी चाहिए जो प्रॉपर्टी टैक्स पर मिलती हैं.

  • वरिष्ठ नागरिक छूट: जो मालिक वरिष्ठ नागरिक हैं, उन्हें यह छूट मिलती है.
  • महिला मालिक को छूट: अगर प्रॉपर्टी किसी महिला के नाम पर है, तो यह छूट दी जाती है.
  • प्रॉपर्टी के उपयोग पर छूट: प्रॉपर्टी किस तरह इस्तेमाल हो रही है, उसके आधार पर भी छूट मिलती है.
  • फ्लोर-वाइज़ छूट: यह छूट अक्सर ग्राउंड फ्लोर की तुलना में ऊपरी फ्लोरों पर मिलती है.
  • खास ग्रुप के लिए छूट: शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों और पूर्व रक्षा कर्मियों को यह छूट मिलती है.
  • जल्दी या एकमुश्त भुगतान पर छूट: अगर आप टैक्स का भुगतान समय से पहले या एक साथ कर देते हैं, तो भी छूट मिलती है.
  • इको-फ्रेंडली पहल छूट: अगर आपने अपनी प्रॉपर्टी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग या सोलर पैनल जैसी पर्यावरण-अनुकूल चीज़ें लगाई हैं, तो छूट मिलती है.

प्रॉपर्टी की वैल्यू जानने का आसान तरीका

प्रॉपर्टी मालिक म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन यह पता लगा सकते हैं कि उनकी प्रॉपर्टी की अनुमानित वैल्यू या किराए की वैल्यू कितनी है. ज़्यादातर शहरों के पोर्टल पर एक सेल्फ-असेसमेंट सेक्शन होता है. इसमें मालिक अपनी प्रॉपर्टी की जानकारी डालते हैं, जिसके बाद उन्हें अनुमानित टैक्स वैल्यू मिल जाती है. कई राज्य सरकारें रेडी-रेकनर या गाइडलाइन वैल्यू भी जारी करती हैं. इससे मालिकों को पता चलता है कि टैक्स के लिए सरकार ने प्रॉपर्टी की आधिकारिक बाज़ार कीमत क्या तय की है. प्रॉपर्टी का एक पहचान नंबर होता है. इसे म्युनिसिपल वेबसाइट पर डालने पर, अक्सर प्रॉपर्टी की सालाना या कैपिटल वैल्यू सीधे दिख जाती है.

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प्रॉपर्टी टैक्स: जुर्माना और राहत

प्रॉपर्टी टैक्स देर से भरने पर लगने वाले नियम हर राज्य में अलग-अलग होते हैं, लेकिन ज़्यादातर नगर निगम बकाया टैक्स पर हर महीने 1% से 2% तक का जुर्माना लगाते हैं. कुछ शहर स्थानीय नियमों के हिसाब से जुर्माना लगने से पहले थोड़ा समय देते हैं.

कई बार, कुछ जगहों पर एमनेस्टी स्कीम भी आती हैं, इसमें अगर आप पुराने बकाया टैक्स को चुका देते हैं, तो जुर्माने और ब्याज में अस्थायी छूट या कमी मिल जाती है. अगर आप लंबे समय तक टैक्स नहीं भरते हैं, तो जुर्माना बढ़ सकता है और आपको नगर निगम की तरफ से अतिरिक्त नोटिस या कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है. ये नियम समय पर भुगतान को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए हैं.

 

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