सोने का भंडार मिलने की वजह से उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला अचानक सुर्खियों में है. इस जिले के ग्रामीण इलाकों में 3 हजार टन से अधिक सोने का भंडार मिला है, जिसकी पुष्टि भी हो गई है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस भंडार से देश की इकोनॉमी की दशा और दिशा बदल सकती है. आइए जानते हैं कि भारतीय इकोनॉमी को इससे क्या फायदे होंगे.
- सोनभद्र के सोने से भारत का रिजर्व 5 गुना बढ़ जाएगा. दरअसल, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा समय में भारत के पास करीब 626 टन सोने का भंडार है. वहीं, सोनभद्र जिले में मिला सोना इससे करीब 5 गुना ज्यादा है. अब माना जा रहा है कि सोने के रिजर्व को लेकर भारत दुनिया के टॉप-3 देशों में शामिल हो सकता है.
- सोनभद्र में सोने के भंडार का एक बड़ा फायदा आयात पर देखने को मिल सकता है. इस बात की संभावना है कि आने वाले वक्त में भारत सोने का आयात कम कर दे. दरअसल, भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है.
भारत में मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग पूरा करने के लिए सोने का
आयात किया जाता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश का सालाना स्वर्ण आयात
800-900 टन है. वहीं मूल्य के आधार पर देश का गोल्ड आयात करीब 33 अरब डॉलर
है.
- आयात कम होने का मतलब ये है कि व्यापार घाटा में भी देश को राहत मिलेगी. दरअसल, 2019-20 के अप्रैल-नवंबर में सोने के आयात में कटौती से व्यापार घाटा भी कम हुआ और यह 106.84 अरब डॉलर पर रहा. एक साल पहले इसी अवधि में व्यापार घाटा 133.74 अरब डॉलर पर था.
- जाहिर है कि व्यापार घाटे के कम होने से देश के सरकारी खजाने में पैसों की बचत होगी और राजकोषीय घाटे में सुधार होगा. यहां बता दें कि मोदी सरकार लगातार तीसरे साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी.
चालू वित्त वर्ष में इसके बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 3.8 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि पूर्व में इसके 3.3 फीसदी रहने की संभावना जताई गई थी. अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है. राजकोषीय घाटा सरकार के आय और व्यय के अंतर को बताता है. इसका मतलब है कि सरकार के पास जो साधन है, वह उससे अधिक खर्च कर रही है.
- राजकोषीय घाटे में कमी का असर वही होगा जो आपकी कमाई के मुकाबले खर्च कम होने पर होता है. खर्च बढ़ने की स्थिति में हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेते हैं. इसी तरह सरकारें भी कर्ज लेती हैं. वहीं, खर्च में कटौती से कर्ज कम होने वाला है. बता दें कि सरकार अगले वित्त वर्ष में बाजार से 5.36 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाएगी. वहीं चालू वित्त वर्ष 2019-20 के मार्च तक 4.99 लाख करोड़ रुपये कर्ज जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.
- इन हालातों में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट में भी सुधार होगा. चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी पर रहने का अनुमान है. वहीं नए वित्त वर्ष में 6 से 6.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया जा रहा है. अगर जीडीपी ग्रोथ रेट में सुधार होता है तो मोदी सरकार के 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का सपना भी पूरा हो जाएगा.