केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना दूसरा आम बजट सदन में पेश कर दिया है. यह नए दशक का पहला आम बजट है. इस बजट में मध्यम समेत हर वर्ग के लिए कई खास ऐलान किए गए हैं. आइए जानते हैं, किसे क्या मिला..
1. मध्यम वर्ग
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ा दी है. वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि 2.5 लाख से 5 लाख तक की सालाना कमाई पर 5 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा. 5 से 7.50 लाख रुपये तक आमदनी वालों को अब 10 फीसदी टैक्स देना होगा, जिसे अब तक 20 फीसदी देना होता था. जिनकी आमदनी 7.50 लाख से 10 लाख रुपये तक है, उन्हें अब 15 फीसदी टैक्स होना होगा.
10 से 12.50 लाख रुपये तक आमदनी वालों को 20 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा, जिसे
अब तक 30 फीसदी देना पड़ता है. वहीं 12.50 लाख से 15 लाख रुपये की आमदनी
वालों को 25 फीसदी टैक्स देना होगा, जिन्हें अब तक 30 फीसदी तक लगता था.
वहीं जिनकी आमदमी 15 लाख रुपये से ज्यादा है, ऐसे लोगों को 30 फीसदी टैक्स
लगेगा.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसके साथ ही रसायनिक खादों के विकल्प तलाशे जाएंगे. 100 सूखाग्रस्त जिलों पर खास फोकस होगा. इसके अलावा मछली पालन को 2 करोड़ टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है. युवाओं को मछली पालन से क्षेत्र से जोड़ने का लक्ष्य है. मछली पालने को वालों मछली कृषक कहा जाएगा. जबकि 3077 सागर मित्र बनाए जाएंगे. किसान क्रेडिट के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है. वहीं 2025 तक दुग्ध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य है.
3. छात्रों के लिए
शिक्षा क्षेत्र के लिए 99 हजार 300 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है. वहीं जल्द ही नई शिक्षा नीति लाई जाएगी. शिक्षा व्यवस्था में और फंड देने की जरूरत है. उच्च शिक्षा के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा दी जाएगी. वहीं जिला अस्पतालों से मेडिकल यूनिवर्सिटीज जोड़े जाएंगे. पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाए जाएंगे. इसके अलावा स्टडी इन इंडिया को प्रमोट किया जाएगा. स्किल डेवलपमेंट के लिए 3000 करोड़ का प्रावधान है. वहीं सरस्वती सिंधु यूनिवर्सिटी का ऐलान किया गया है. इस क्षेत्र में FDI लाया जाएगा.
4. महिला वर्ग
वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 35,600 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया. उन्होंने महिला विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया.इसके अलावा, वित्त मंत्री ने 2020-21 के दौरान अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़ा वर्गों के कल्याण के लिए 85,000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया.