किसी कंपनी में निवेश से पहले उस कंपनी का कैपिटलाइजेशन जरूर देख लेना चाहिए. लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप का फैसला भी कैपिटलाइजेशन से होता है. किसी भी कंपनी की वैल्यू कैपिटलाइजेशन कहलाती है. कंपनी के शेयरों की संख्या को उनकी मार्केट वैल्यू से मल्टीप्लाई करने पर कैपिटलाइजेशन निकलता है. (Photo: File)
दरअसल शेयर बाजार में कंपनियों को अपने मार्केट कैप के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन का मतलब है कि शेयर बाजार द्वारा निर्धारित उस कंपनी की वैल्यू. (Photo: File)
हर कंपनी अपना शेयर जारी करती है और शेयरों की कुल संख्या कंपनी में 100% स्वामित्व हक को दर्शाती है. अगर किसी कंपनी के कुल शेयरों की संख्या और प्रत्येक शेयर की कीमत पता चल जाए, तो उस कंपनी का वैल्यू आसानी से निकाला जा सकता है. (Photo: File)
एक लार्ज कैप कंपनी का अपने उद्योग में वर्चस्व होता है. लार्ज कैप कंपनी की ग्रोथ संतुलित होती है. भारत की लगभग सभी लार्ज कैप कंपनियां वर्ल्ड रैंकिंग में मिड कैप या स्मॉल कैप कंपनियां बन जाती हैं, क्योंकि दुनिया भर में उन कंपनियों को लार्ज कैप का दर्जा मिलता है, जिनका मार्केट कैप 10 अरब डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) से अधिक होता है. (Photo: File)
अब अगर आप निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो खुद तय कर सकेंगे कि जिस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, उसका मार्केट वैल्यू (मार्केट कैप) कितना है और वो किस कैटेगरी में आती हैं. जब आप इन चीजों पर निवेश से पहले फोकस कर लेंगे तो बाद में पछताना नहीं पड़ेगा. (Photo: File)