रेटिंग एजेंसी फिच सोल्यूशंस ने मौजूदा कारोबारी साल के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अपने पहले के अनुमान को घटा दिया है. फिच ने आर्थिक विकास के अनुमान को घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है. पहले फिच ने इसे 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. (Photo: File)
फिच के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर की विकास दर में गिरावट देखी जा रही है, और इसके चलते सप्लाई चेन गड़बड़ाने और घरेलू मांग में कमी की भी आशंका जताई गई है. (Photo: File)
फिच ने कारोबारी साल 2020-21 के लिए भी विकास दर के अपने अनुमान को घटा दिया है. कोरोना वायरस के चलते भारत के कई सेक्टर्स को कच्चे माल की सप्लाई नहीं हो पा रही है, जिससे मौजूदा कारोबारी साल में जीडीपी दर 0.2 फीसदी तक कम रहने के अनुमान लगाए जा रहे हैं. (Photo: File)
इसके साथ ही OECD ने भी 2020 के लिए भारत का जीडीपी अनुमान घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया. इसके पहले OECD ने 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था. अगले साल में विकास दर 5.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है. कोरोना वायरस के घरेलू के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को देखते हुए ये कदम उठाया गया है. (Photo: File)
ओईसीडी ने कहा कि भरोसा घटने, वित्तीय बाजार और यात्रा पर बुरा असर पड़ने और सप्लाई चेन में रुकावट को देखते हुए जी-20 के सभी देशों की 2020 के लिए विकास दर को कम किया गया है. खासकर वो देशों जिनकी सप्लाई चेन चीन से जुड़ी हुई है वहां पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका है. (Photo: File)
भारत भी विकसित और विकासशील देशों के समूह जी-20 का सदस्य है. उधर, रेटिंग एजेंसी फिच का मानना है कि चीन में महामारी के फैलने के कारण भारत में ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन गड़बड़ाने की आशंका है. इसका असर देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ेगा. इसके अलावा कोरोना वायरस के अलग-अलग सेक्टर पर पड़ने वाले असर के बीच कुछ जरूरी दवाओं के स्टॉक खत्म होने की बात भी कही जा रही है. (Photo: File)
दरअसल, दवाईयों को बनाने में चीनी मेटेरियल का इस्तेमाल होता है और कोरोना से चीनी सप्लाई पर असर पड़ रहा है. फिच के मुताबिक 2020-21 में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में सुधार आने की उम्मीद है. बजट में कृषि सेक्टर के लिए हुए ऐलानों से इस सेक्टर को फायदा होगा, जिससे विकास दर को बढ़ाने में मदद मिलेगी. (Photo: File)