वित्तीय वर्ष 2019-20 खत्म होने में अब 50 दिन से भी कम समय बचा है. ये ऐसा वक्त होता है जब हर कोई टैक्स बचाने के लिए तरह-तरह के रास्ते अपनाता है.
हर किसी की चिंता अधिक से अधिक टैक्स बचाने की रहती है. इस हड़बड़ी में कई बार बड़ी गलती हो जाती है जिसका नुकसान भुगतना पड़ता है. आज हम इस गलती से बचने के तरीके के बारे में बताएंगे.
निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- सबसे पहले टैक्स बचाने के लिहाज से अब तक किए गए सारे निवेश को जोड़ें.
- इसके बाद आकलन करें कि आपको अभी और कितना टैक्स बचाने की जरूरत है.
- अब आप उन स्कीम्स या निवेश के बारे में जानकारी लें जो टैक्स सेविंग करते हैं.
- इसके साथ ही निवेश के रिटर्न और रिस्क का भी आकलन करें.
-कुछ निवेश से बाहर निकलने का बहुत कम मौका मिलता है, ऐसे में अच्छे से जांच लें.
ऐसे करें निवेश....
दरअसल, वित्त वर्ष के आखिरी दिनों में निवेश विकल्पों पर विचार के लिए बहुत कम समय बचता है. ऐसे में यह जरूरी है कि छोटे-छोटे निवेश पर जोर दें. इसके लिए टैक्स सेविंग मंथली सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ( SIP) या म्यूचुअल फंड्स के विकल्प को चुना जा सकता है. म्यूचुअल फंड्स में एकमुश्त पैसा लगाना स्मार्ट निवेशक की पहचान नहीं है.
वहीं, अगर आपके पास वक्त कम है तो फिक्स्ड डिपॉजिट
(एफडी), PPF और सुकन्या समृद्धि स्कीम जैसे सुरक्षित निवेश के विकल्प को
अपनाएं. ये ऐसे निवेश होते हैं जो आपके लिए लॉन्ग टर्म में फायदेमंद साबित
होता है. इसके साथ ही टैक्स सेविंग का मकसद भी पूरा होता है.
नए और पुराने स्लैब का चक्कर
बीते 1 फरवरी को आम बजट में सरकार ने एक वैकल्पिक टैक्स सिस्टम को प्रस्तावित किया है. इस नए टैक्स सिस्टम की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें ज्यादातर डिडक्शन खत्म कर दिए गए हैं. खत्म किए गए करीब 70 डिडक्शन ऐसे हैं जिनमें निवेश कर ज्यादातर लोग टैक्स का लाभ उठाते रहे हैं.
कहने का मतलब ये है कि आने वाले वित्त वर्ष में अगर आप नए टैक्स सिस्टम
को चुनते हैं तो आपके लिए निवेश पर जोर देने का कोई खास फायदा नहीं मिलने
वाला है. ऐसे में अगर आप अभी टैक्स बचाने के मकसद से निवेश कर रहे हैं तो
आपके लिए नए वित्त वर्ष में पुराना टैक्स स्लैब ही फायदेमंद होगा.
यहां बता दें कि नई टैक्स व्यवस्था में फिलहाल गिनी-चुनी रियायतें मिलती रहेंगी. जैसे- डेथ-कम रिटायरमेंट बेनेफिट, पेंशन, रिटायरमेंट पर छुट्टियों के बदले कैश, 5 लाख रुपये तक वीआरएस अमाउंट, ईपीएफ फंड निकासी, शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप पर मिली धनराशि, सार्वजनिक हित में किए गए किसी कार्य के लिए सम्मान के तौर पर मिली धनराशि, नेशनल पेंशन स्कीम के तहत छोटी अवधि वाली निकासी और मैच्योरिटी अमाउंट.