अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों को फिर से चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के खिलाफ नीतियों से सहमत देशों पर एक्स्ट्रा 10 प्रतिशत Tariff लगाने की कसम खाई है और पहले से ही उनपर कठोर प्रहार कर दिया गया है. ट्रंप ने ब्रिक्स समूह में शामिल देशों का ना लिए बगैर कहा कि जब मैंने इसका नाम सुना तो इसपर जोरदार प्रहार किया है और अगर कभी यह मजबूत बना भी तो ये जल्द ही खत्म भी हो जाएंगे.
वाशिंगटन में एक प्रेस बीफ्रिंग के दौरान ट्रंप ने कहा कि BRICS समूह देशों पर निशाना साधा गया, जिसका विस्तार अब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से आगे बढ़कर ईरान और इंडोनेशिया को भी शामिल कर लिया गया है.
किसी को हमारे साथ खेलने की इजाजत नहीं
ट्रम्प ने कहा, 'हम कभी भी किसी को हमारे साथ खेलने की इजाजत नहीं देंगे.' उन्होंने कहा कि वह विश्व की आरक्षित मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर की भूमिका की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और अमेरिका में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा शुरू करने के किसी भी प्रयास को रोकेंगे.
अमेरिका विरोधी होने से इनकार
वहीं ब्रिक्स समूह ने अमेरिका-विरोधी होने से इनकार किया है और खुद को बहुपक्षीय कूटनीति के एक मंच के रूप में स्थापित किया है. खासकर ऐसे समय में जब G7 और G20 जैसे वैश्विक मंच आंतरिक मतभेदों और ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडे से जूझ रहे हैं. हालांकि ब्राजील ने इस साल की शुरुआत में ब्रिक्स की साझा मुद्रा के प्रयासों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था, लेकिन यह ग्रुप स्थानीय करेंसी का उपयोग करके सीमा पार भुगतान की एक पहल को आगे बढ़ा रहा है.
क्यों ट्रंप ब्रिक्स देशों को धमका रहे हैं?
Trump का मानना है कि ब्रिक्स समूह अमेरिका का शत्रु है. उन्होंने BRICS पर डॉलर को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है. हालांकि उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया है. ट्रंप को डर है कि अगर ब्रिक्स सदस्य देश व्यापार के लिए स्थानीय करेंसी का यूज करेंगे तो आगे अमेरिका के वर्चस्व वाली छवि धूमिल हो सकती है और डॉलर कमजोर हो सकता है. ऐसे में ट्रंप इन देशों पर बार-बार टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं.
वहीं ब्राजील में हाल ही में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में नेताओं ने अमेरिकी सैन्य और व्यापार नीति की आलोचना की, जिससे अमेरिका और ब्रिक्स देशों के बीच तनाव और बढ़ गया. ट्रंप के आक्रामक रुख से पता चलता है कि वह ब्रिक्स को न सिर्फ एक आर्थिक गठबंधन के तौर पर देखते हैं, बल्कि अमेरिकी वर्चस्व के लिए एक भू-राजनीतिक चुनौती के रूप में भी देखते हैं.
आजतक बिजनेस डेस्क