10 दिन का और समय दे दीजिए... कंपनी बेचने के लिए Anil Ambani फर्म की RBI से गुहार!

रिलायंस कैपिटल की संपत्ति हिंदुजा समूह की कंपनी को ट्रांसफर करने की टाइम लिमिट शुक्रवार तक थी. देश के केंद्रीय बैंक ने संपत्ति ट्रांसफर करने के लिए 17 नवंबर 2023 को मंजूरी दी थी. यह मंजूरी सिर्फ 6 महीने के लिए वैलिड थी.

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अनिल अंबानी अनिल अंबानी

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली ,
  • 18 मई 2024,
  • अपडेटेड 8:55 PM IST

भारी कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल के खरीदार हिंदुजा ग्रुप (Hinduja Group) को अधिग्रहण करने में अभी और वक्‍त लगेगा. क्‍योंकि रिलायंस कैपिटल के प्रशासक ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से गुहार लगाई है और 10 दिन का समय मांगा है. रिलायंस कैपिटल ने हिंदुजा ग्रुप की कंपनी को संपत्ति ट्रांसफर करने के लिए इस समय की मांग की है.  

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रिलायंस कैपिटल की संपत्ति हिंदुजा समूह की कंपनी को ट्रांसफर करने की टाइम लिमिट शुक्रवार तक थी. देश के केंद्रीय बैंक ने संपत्ति ट्रांसफर करने के लिए 17 नवंबर 2023 को मंजूरी दी थी. यह मंजूरी सिर्फ 6 महीने के लिए वैलिड थी. बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, अब रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के प्रशासक ने RBI से 27 मई तक का समय मांगा है. संपत्ति ट्रांसफर होने के बाद रिलायंस कैपिटल पूरी तरह से हिंदुजा ग्रुप की हो जाएगी. 

27 फरवरी को समाधान योजना की दी थी मंजूरी 
गौरतलब है कि NCLT के आदेश के अनुसार हिंदुजा समूह की कंपनी के लिए समाधान योजना को लागू करने की समयसीमा भी 27 मई है. राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने 27 फरवरी को समाधान योजना को मंजूरी दिया था. इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड को 27 मई तक समाधान योजना को लागू करने को कहा गया था. 

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इरडा ने भी रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण की मंजूरी 
एनसीएलटी ने हिंदुजा समूह (Hinduja Group) की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड की रिलायंस कैपिटल के लिए 9,650 करोड़ रुपये की समाधान योजना की मंजूरी दी थी. वहीं हाल ही में इरडा ने भी अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए हिंदुजा ग्रुप की कंपनी की बोली को मंजूरी दे दी है. 

रिलायंस कैपिटल पर इतना कर्ज 
बता दें कि रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के लिए फरवरी 2022 में बोली आमंत्रित जारी की गई थी. शुरुआत में रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए चार कंपनियां सामने आई थीं, लेकिन कम बोली के कारण लेंडर्स समूह ने इसे अस्‍वीकार कर दिया. बाद में हिंदुजा ग्रुप और टोरेंट इन्‍वेस्‍टमेंट ने दोबारा बोली पेश की, जिसमें हिंदुजा ग्रुप के बोली को मंजूरी दे दी गई. इस कंपनी पर 40 हजार करोड़ का कर्ज बताया गया है. 

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