GST मुआवजे पर नहीं बनी बात, निर्मला बोलीं- केंद्र सरकार नहीं उठा सकती है राज्यों के लिए कर्ज

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्यों के सामने दो प्रस्ताव रखे हैं, देश के 20 राज्य ऑप्शन-1 से सहमत हैं. जबकि बाकी राज्य केंद्र के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं. सभी राज्यों के साथ विस्तार से चर्चा हुई. 

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जीएसटी काउंसिल की बैठक जीएसटी काउंसिल की बैठक

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:56 PM IST
  • मुआवजे को लेकर GST काउंसिल की हुई तीसरी बैठक
  • इससे पहले 5 अक्टूबर को हुई थी काउंसिल की बैठक
  • केंद्र के प्रस्ताव से 21 राज्य सहमत, बाकी असहमत

वस्तु एवं सेवा कर (GST) मुआवजे के विवाद को हल करने सोमवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई. बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जिस मुद्दे को लेकर ये बैठक हुई उसपर आम सहमति नहीं बन पाई. 

दरअसल, निर्मला सीतारमण की अगुवाई में राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली परिषद ने लगातार तीसरी बार जीएसटी राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति को लेकर चर्चा की. वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्यों के सामने दो प्रस्ताव रखे हैं. देश के 21 राज्य ऑप्शन-1 से सहमत हैं. जबकि बाकी राज्य केंद्र के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि 50 साल के लिए लोन सुविधा की सभी राज्यों ने तारीफ की.

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केंद्र का प्रस्ताव गलत नहीं: वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र का प्रस्ताव कानून के दायरे में है. लेकिन अगर कुछ राज्यों को मंजूर नहीं है तो फिर आगे देखते हैं अब क्या समाधान निकलता है. केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करने वाले राज्यों में दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु शामिल हैं. 

बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती है, क्योंकि इससे बाजार में कर्ज की लागत बढ़ सकती है. जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई. 
 

कोरोना संकट की वजह से ऐसी स्थिति
इससे पहले 5 अक्टूबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद निर्मला सीतारमण ने कहा था कि हम राज्‍यों को मुआवजे की राशि से इनकार नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है. ऐसी स्थिति की पहले किसी ने कल्पना नहीं की थी. मौजूदा हालात इस तरह का नहीं है कि केंद्र सरकार फंड पर कब्‍जा करके बैठी है, और देने से इनकार कर रही है. फंड उधार लेना होगा. 

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कम्पनसेशन सेस आगे भी जारी
वित्त मंत्री ने कहा कि लग्जरी और कई अन्य तरह की वस्तुओं पर लगने वाले कम्पनसेशन सेस को जून-2022 से भी आगे बढ़ाया जाएगा. यानी कार, सिगरेट जैसे प्रोडक्ट पर कम्पनसेशन सेस आगे भी लगता रहेगा, राज्यों को नुकसान से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है. नियम के मुताबिक यह जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ पांच साल तक लगना था. 

गौरतलब है कि राज्य करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी का बकाया मुआवजा देने की केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं. इसके बदले में केंद्र ने उन्हें उधार लेने के दो विकल्प दिए हैं. लेकिन केंद्र की इस पेशकश को लेकर राज्य बंटे हुए हैं.

क्या है मुआवजे का गणित 
राज्यों का करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा बकाया है, लेकिन केंद्र सरकार का गणित यह है ​कि इसमें से करीब 97,000 करोड़ रुपये का नुकसान ही जीएसटी लागू होने की वजह से है, बाकी करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से है.


 

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