PK फैक्टर या कुछ और...? क्या है बिहार की राजनीति में AAP की एंट्री की इनसाइड स्टोरी, समझ‍िए 

बिहार में आम आदमी पार्टी के संगठन को बचाने की कवायद के तहत अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने पहली लिस्ट जारी की है. अभी ये साफ नहीं है कि पार्टी कांग्रेस वाले इलाकों में भी उम्मीदवार उतारेगी या नहीं. जानिए क्या है वो 'PK फैक्टर' जिसने पार्टी को चुनावी मैदान में उतरने के लिए मजबूर किया.

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अमित भारद्वाज

  • दिल्ली/पटना,
  • 07 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:11 PM IST

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) उन दलों में से है जो INDIA ब्लॉक में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ कई राष्ट्रीय मुद्दों पर एक जैसी राय रखते हैं. संसद में AAP के संजय सिंह और RJD के मनोज झा की एकजुटता की तस्वीरें अक्सर दिखती रही हैं. RJD बिहार में NDA को सत्ता से हटाने के लिए INDIA ब्लॉक की अगुवाई कर रही है.

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इसके बावजूद AAP ने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पार्टी पहले ही 11 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर चुकी है और जल्द ही दूसरी और तीसरी लिस्ट भी आने वाली है.

क्या है 'PK फैक्टर'

पार्टी सूत्रों के मुताबिक PK फैक्टर यानी प्रशांत किशोर का असर ही AAP को बिहार चुनाव में उतरने की असली वजह बना. बिहार AAP अध्यक्ष राकेश यादव का कहना है कि ये फैसला बिहार के वोटरों को 'विकल्प वाली राजनीति' दिखाने के लिए लिया गया है.

कैसे AAP बिहार ने दिल्ली टीम को मनाया

AAP के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने पहले घोषणा की थी कि पार्टी बिहार में चुनाव लड़ेगी. लेकिन जब तक उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं हुई थी, तब तक इसे लेकर संदेह था. एक वरिष्ठ नेता ने इंडिया टुडे को बताया कि प्रशांत किशोर का असर AAP के संगठन पर दिखने लगा था. डर था कि पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता जन सुराज में चले जाएंगे.

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दरअसल, प्रशांत किशोर का जन सुराज मॉडल राजनीति का वही पैटर्न पेश कर रहा था जो AAP का मूल मॉडल यानी जनता से जुड़ी, साफ-सुथरी और मुद्दा आधारित राजनीति है.

AAP ने क्यों लिया ये फैसला

एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि AAP ने 2020 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. बिहार इकाई लगातार कह रही थी कि अगर पार्टी गोवा, गुजरात, हरियाणा जैसे राज्यों में चुनाव लड़ सकती है तो बिहार को क्यों छोड़ा जाए? वजह ये थी कि AAP बिहार में राजनीतिक रूप से एक्टिव नहीं थी, इसलिए उसके कई नेता और कार्यकर्ता जन सुराज में शामिल हो गए थे. लेकिन अब जब पार्टी ने 2025 चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो उन्हें वापस लाने की कोशिश शुरू हुई.

बिहार इकाई का भरोसा और तैयारी

AAP अध्यक्ष राकेश यादव ने माना कि जन सुराज का असर पार्टी पर पड़ा था. उन्होंने कहा कि करीब 50% कार्यकर्ता जो जन सुराज में चले गए थे, अब वापसी पर विचार कर रहे हैं. हमने चुनाव नहीं लड़ा इसलिए उन्होंने जन सुराज को विकल्प माना था. अब जब हमने पहली लिस्ट जारी की है तो उत्साह बढ़ गया है.

यादव के मुताबिक पार्टी को करीब 6000 आवेदन मिले हैं. स्क्रूटनी चल रही है और जल्द ही दूसरी और तीसरी लिस्ट जारी की जाएगी जिनमें 30-40 उम्मीदवार हो सकते हैं.

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PK से अलग बताई अपनी राजनीति

राकेश यादव ने कहा कि PK ने कहा कि वो बिहार को एक वैकल्पिक राजनीति देगा लेकिन वो भी ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की सोच रहे हैं जिन पर दाग हैं. लोगों ने दिल्ली और पंजाब में AAP का गवर्नेंस मॉडल देखा है. स्कूलों और अस्पतालों पर केंद्रित शासन व्यवस्था के जो वादे PK कर रहे हैं, हम उन्हें पहले ही लागू कर चुके हैं.

RJD और AAP के रिश्ते पर असर?

जब RJD ने दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था तो सवाल उठा कि क्या AAP का बिहार चुनाव में उतरना दोनों पार्टियों के रिश्ते पर असर डालेगा? AAP विधायक संजीव झा ने कहा कि हम हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव लड़े थे लेकिन कांग्रेस जीती. इससे हमारे रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ा. हम जहां-जहां चुनाव लड़ रहे हैं वहां अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य की राजनीति का मॉडल पेश कर रहे हैं. बिहार में भी हमारी एंट्री असली मुद्दों पर फोकस वापस लाएगी.

बता दें कि AAP की अब दो से तीन और उम्मीदवारों की लिस्ट आने की उम्मीद है. अभी ये साफ नहीं है कि पार्टी कांग्रेस वाले इलाकों में भी उम्मीदवार उतारेगी या नहीं. लेकिन इतना तय है कि PK फैक्टर ने AAP को बिहार की सियासी रेस में उतार दिया है.

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