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आतंकवाद पर पश्चिमी मीडिया का पाखंड, पहलगाम 'चरमपंथी हमला' और सिडनी 'टेरर अटैक' क्यों?

पहलगाम और ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच हमलों ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक दोहरे मापदंड उजागर कर दिए हैं. जहां भारत में हमलों को ‘चरमपंथी हिंसा’ कहा गया, वहीं पश्चिम में वही घटनाएं ‘आतंकी हमला’ बन जाती हैं. यह सोच वैश्विक एकजुटता की सबसे बड़ी बाधा है.

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बॉन्डी बीच हमले के बाद पश्चिमी मीडिया का दोहरा चरित्र भी उजागर हुआ है. (Photo by Saeed KHAN / AFP)
बॉन्डी बीच हमले के बाद पश्चिमी मीडिया का दोहरा चरित्र भी उजागर हुआ है. (Photo by Saeed KHAN / AFP)

पहलगाम से लेकर ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच तक आतंकवाद का खूनखराबा एक जैसा है, लेकिन दुनिया का नजरिया एक जैसा नहीं. यही दोहरा मापदंड आज वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी बाधा बनता जा रहा है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि जब इसी साल 22 अप्रैल को भारत के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, तब अमेरिका के मशहूर अखबार The New York Times ने इसे Militant Attack यानी एक चरपंथी हमला बताया था. लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया में हमला हुआ है तो यही New York Times इसे एक Terror Attack यानी आतंकी हमला लिख रहा है.

इसी तरह The Guardian ने पहलगाम हमले को लेकर ये लिखा था कि कुछ Suspected Militants यानी संदिग्ध चरमपंथियों ने ये हमला किया है, जिसमें 26 लोगों की हत्या हो गई है. लेकिन आज जब ऑस्ट्रेलिया में हमला हुआ है तो यही The Guardian इसे आतंकवादी हमला लिख रहा है.

भारत को लेकर पश्चिमी मीडिया का दोहरा रवैया

ये सूची यहीं खत्म नहीं होती. BBC ने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को Gunmen यानी बंदूकधारी हमलावर बताया था. लेकिन ऑस्ट्रेलिया हमले में यही BBC खुलकर इन्हें आतंकवादी बता रहा है. और आप ब्लूमबर्ग को ही देख लीजिए, जिसने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को चरपंथी कहा था लेकिन ऑस्ट्रेलिया हमले को ब्लूमबर्ग भी आतंकी हमला लिख रहा है. और इससे आप अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के दोहरे मापदंडों को समझ सकते हैं.

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यह भी पढ़ें: 'साजिद अकरम ने 27 साल पहले हैदराबाद छोड़ दिया था', सिडनी हमलावरों के इंडिया कनेक्शन पर बोली तेलंगाना पुलिस

कड़वा सच यही है कि आज भी भारत में होने वाली आतंकवादी घटनाओं को एक अलग चश्मे से देखा जाता है और पश्चिमी देश इन हमलों को भारत की आतंरिक समस्या समझते हैं. लेकिन इसी तरह के हमले जब इन विकसित देशों में होते हैं तो ये देश खुलकर इन्हें आतंकी हमला भी बताते हैं और पूरी दुनिया से ये उम्मीद करते हैं कि उनके यहां हुए हमले को ज़्यादा गंभीरता से लिया जाए.

सवाल ये है कि अगर निर्दोषों की हत्या दोनों जगह एक जैसी है, तो आतंकवाद की परिभाषा अलग क्यों? क्या भारत में होने वाला आतंक ‘लोकल प्रॉब्लम’ है और पश्चिम में होने वाला हमला ‘ग्लोबल थ्रेट’?

आरोपी का तेलंगाना कनेक्शन

इस बीच तेलंगाना पुलिस ने बॉन्डी बीच हमले को लेकर बड़ा खुलासा किया है. इस हमले का मुख्य आरोपी साजिद अकरम हैदराबाद का रहने वाला था, जो 27 साल पहले ऑस्ट्रेलिया चला गया था. पुलिस के मुताबिक, उसका भारत या तेलंगाना में किसी तरह के कट्टरपंथी नेटवर्क से कोई संबंध नहीं पाया गया है.

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ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने इस हमले को ISIS से प्रेरित आतंकवादी हमला बताया है, जिसमें 15 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए. साजिद अकरम को पुलिस ने मार गिराया, जबकि उसका बेटा अस्पताल में भर्ती है.

तेलंगाना पुलिस ने साफ कहा है कि इस कट्टरपंथी सोच की जड़ें भारत में नहीं, बल्कि विदेश में पनपीं. साथ ही मीडिया और जनता से अपील की गई है कि बिना पुष्टि के भारत को इस मामले से जोड़ने की कोशिश न की जाए. सच्चाई यही है कि जब तक आतंकवाद को धर्म, भूगोल और राजनीति से ऊपर उठकर एक समान नजरिए से नहीं देखा जाएगा, तब तक वैश्विक एकजुटता सिर्फ भाषणों तक सीमित रहेगी.

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