अमेरिका ने भारत की एक कंपनी पर ईरान से जुड़े होने के आरोप में प्रतिबंध लगा दिए हैं. अमेरिका का आरोप है भारतीय कंपनी फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड (Farmlane Pvt. Ltd.) ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन प्रोग्राम्स के लिए सामग्री और टेक्नोलॉजी मुहैया कराई. अमेरिका ने यह नया प्रतिबंध आठ देशों से जुड़े 32 लोगों और संस्थाओं पर लगाया है, जिनमें भारत भी शामिल है.
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, यूएई (UAE) में रह रहे मार्को क्लिंगे (Marco Klinge) भारतीय कंपनी फार्मलेन के निदेशक हैं. ये उन प्रमुख लोगों में शामिल हैं जिनका नाम अमेरिका ने प्रतिबंधों की लिस्ट में डाला है.
ईरान के परमाणु प्रोग्राम को निशाना बनाते हुए अमेरिका ने इन प्रतिबंधों की घोषणा बुधवार को की. अमेरिका का कहना है कि ईरान न्यूक्लियर प्रोग्राम के जरिए परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है. जबकि ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल नागरिक उपयोग के लिए है.
अमेरिका और इजरायल ने जून महीने में ईरान के फोर्डो (Fordow), नतांज (Natanz) और इस्फहान (Isfahan) में स्थित परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे.
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के आतंकवाद और वित्तीय खुफिया विभाग के अवर सचिव जॉन के. हरले (John K. Hurley) ने कहा, 'पूरी दुनिया में ईरान वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग करके पैसा जमा करता है. वो इसके जरिए अपने परमाणु और पारंपरिक हथियार कार्यक्रमों के लिए पुर्जे खरीदता है और अपने आतंकी सहयोगियों को समर्थन देता है.'
उन्होंने आगे कहा, 'राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर हम ईरान पर अधिकतम दबाव डाल रहे हैं ताकि उसकी तरफ से परमाणु खतरा खत्म कर दें. अमेरिका उम्मीद करता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को पूरी तरह लागू करेगा ताकि ईरान की वैश्विक वित्तीय प्रणाली तक पहुंच रोकी जा सके.'
अमेरिकी प्रतिबंध सूची में शामिल भारतीय कंपनी फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड का हेडक्वार्टर चंडीगढ़ में है. बिजनेस रिसर्च प्लेटफॉर्म जॉबाकॉर्प (Zaubacorp) के अनुसार, मार्को क्लिंगे इसके एडिशनल डायरेक्टरक हैं.
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि, 'क्लिंगे भारत और चीन से खरीदारी करते हैं, उन्होंने कंपनी और सप्लायर्स के बीच समन्वय किया, जिनमें चाइना क्लोरेट टेक कंपनी लिमिटेड (China Chlorate Tech Co. Ltd.) जैसी कंपनियां शामिल हैं. अमेरिका के OFAC ने पहले ही चीनी कंपनी को प्रतिबंधित कर रखा है.'
OFAC (Office of Foreign Assets Control), अमेरिकी वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया और प्रवर्तन एजेंसी है.
क्लिंगे की खरीददारी में वो केमिकल्स शामिल थे जिनका इस्तेमाल ईरान के मिसाइल प्रोग्राम में किया जा सकता है.
बयान के अनुसार, मार्को क्लिंगे ईरान और तुर्की स्थित कंपनी माजिद दोलतखाह (Majid Dolatkhah) के साथ मिलकर पारचिन केमिकल इंडस्ट्रीज (Parchin Chemical Industries – PCI) के लिए मिसाइल के प्रोपेलर में इस्तेमाल होने वाले तत्वों की खरीद में शामिल थे. यह संस्था ईरान के डिफेंस इंडस्ट्रीज ऑर्गनाइजेशन (DIO) का हिस्सा है, जो केमिकल प्रोडक्ट्स के आयात-निर्यात के लिए जिम्मेदार है.
इससे पहले अक्टूबर में अमेरिका ने ईरानी तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और पेट्रोकेमिकल्स के व्यापार में शामिल भारत की नौ कंपनियों और आठ भारतीय नागरिकों पर भी प्रतिबंध लगाए थे.