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पुतिन से दोस्ती की राह पर राष्ट्रपति ट्रंप? अब रूस को दुश्मन नहीं मानेगा अमेरिका... जानें फैसले पर क्या बोला क्रेमलिन

2014 में क्रीमिया को रूस में मिलाने और 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से अमेरिका लगातार रूस को बड़ा खतरा मानता रहा है. लेकिन ट्रंप प्रशासन ने नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी में इसके उलट रुख अपनाया है. रूस ने अमेरिका के इस कदम का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक पहल करार दिया है.

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ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी नई रणनीति फ्लेक्सिबल रियलिज्म के सिद्धांत पर आधारित है. (File Photo- Reuters)
ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी नई रणनीति फ्लेक्सिबल रियलिज्म के सिद्धांत पर आधारित है. (File Photo- Reuters)

यूक्रेन पर रूस का अटैक अब भी जारी है. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने क्रेमलिन को अब खतरा मानने से इनकार कर दिया है. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी जारी की है. इसमें अप्रत्याशित रूप से बड़ा बदलाव किया गया है. नई नीति के तहत अमेरिका अब रूस को प्रत्यक्ष खतरा (Direct Threat) नहीं मानेगा और उसके साथ सहयोग करेगा.

वहीं रूस ने अमेरिका के इस कदम का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक पहल करार दिया. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव ने राज्य टेलीविजन को बताया कि जो बदलाव हम देख रहे हैं, वे कई मायनों में हमारी दृष्टि के अनुरूप हैं. यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रपति ट्रंप रूसी राष्ट्रपति पुतिन के प्रति नरमी दिखा रहे हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर ट्रंप खुलकर पुतिन की तारीफ कर चुके हैं.

ओबामा और बाइडेन प्रशासन की नीति के उलट फैसला

ट्रंप प्रशासन का यह फैसला पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और बाइडेन प्रशासन की नीतियों से बिल्कुल उलट नजर आ रहा है. 2014 में क्रीमिया को रूस में मिलाने और 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से अमेरिका लगातार रूस को बड़ा खतरा मानता रहा है. इसके बाद से अमेरिका रूस को हमेशा एक आक्रामक और वैश्विक व्यवस्था को बिगाड़ने वाला देश बताता रहा है. लेकिन ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी नई रणनीति फ्लेक्सिबल रियलिज्म के सिद्धांत पर आधारित है. 

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इसमें साफ कहा गया है कि अमेरिका अब रूस के साथ दुश्मनी बढ़ाने के बजाय स्‍ट्रेटज‍िक स्‍टेबिल‍िटी बहाल करना चाहता है. इसमें मोनरो सिद्धांत को फिर से लागू करने का सुझाव दिया गया है, जो पश्चिमी गोलार्ध को अमेरिका के प्रभाव क्षेत्र के रूप में मानता है. इसके अलावा, रणनीति में यूरोप पर चेतावनी दी गई है कि वह सभ्यता के विनाश का सामना कर रहा है. इसमें कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत करना अमेरिका की प्राथमिकता है और वॉशिंगटन का लक्ष्य रूस के साथ रणनीतिक स्थिरता स्थापित करना है.

'ट्रंप की रणनीति और रूस की सोच में मेल'

रूसी प्रवक्ता पेस्कोव ने कहा कि अमेरिका की नई रणनीति नाटो के लगातार फैलते सैन्य गठबंधन की धारणा को खत्म करने और वास्तविकता को रोकने के वादे के अनुरूप है, जो क्रेमलिन के लिए उत्साहजनक संकेत है. हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि राष्ट्रपति ट्रंप भले ही अच्छे इरादे रखते हों, लेकिन अमेरिका का डीप स्टेट यानी वहां की नौकरशाही और पुरानी व्यवस्था ट्रंप की राह में रोड़े अटकाएगी. अमेरिकी डीप स्टेट की सोच ट्रंप से बिल्कुल अलग है. दरअसल, ट्रंप अक्सर आरोप लगाते रहे हैं कि कुछ अधिकारी चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने देते. क्रेमलिन ने यह भी स्वागत किया कि नई रणनीति में रूस को सीधे खतरे के रूप में दिखाने के बजाय रणनीतिक स्थिरता पर सहयोग करने की बात कही गई है. 

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इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और चीन पर भी बात

नई रणनीति में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का प्रमुख क्षेत्र बताया गया है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका और उसके सहयोगी ताइवान पर चीन के साथ किसी संघर्ष को रोकने के लिए अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करेंगे.

रूस, जो यूक्रेन युद्ध के कारण भारी प्रतिबंधों के अधीन है, ने चीन के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, जबकि यूरोप ने रूसी ऊर्जा पर निर्भरता घटाई है. मार्च में एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था, “इतिहास के अध्ययनकर्ता के रूप में मैंने देखा है कि आपको रूस और चीन के एकजुट होने से बचना चाहिए.”

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