ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने शनिवार को यह कहकर हर किसी को चौंका दिया कि ईरान के 2.5 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हैं और करीब 3.5 करोड़ लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की आशंका है. ईरान के आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, रविवार को कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या 2,73,788 पहुंच गई है जबकि अब तक इसकी चपेट में आकर 14,188 मौत हो चुकी हैं.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी के दिए गए आंकड़े और आधिकारिक आंकड़े में बहुत बड़ा फर्क है. ईरान के राष्ट्रपति के आंकड़े को लेकर कई तरह के संदेह कायम हैं. लेकिन अगर ये सही है तो इसका मतलब है कि ईरान की एक-तिहाई आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है. अभी पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के 1.4 करोड़ से ज्यादा मामले हैं. यानी इस दावे के हिसाब से ईरान में पूरी दुनिया से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले हैं.
अगर वाकई ईरान में 2.5 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं तो फिर वह हर्ड इम्युनिटी की तरफ भी आगे बढ़ रहा है. ये भी संभव है कि ईरान के कई शहर और कस्बे पहले से ही हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए जरूरी संक्रमण की संख्या को पार कर चुके हों.
हालांकि, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के देश में 2.5 करोड़ लोगों के कोरोना संक्रमित होने के अनुमान को वहां के स्वास्थ्य अधिकारियों ने खारिज कर दिया है. ईरान के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति का अनुमान सेरोलॉजिकल ब्लड टेस्ट पर आधारित था जिससे बीमार व्यक्ति की वर्तमान स्थिति का पता नहीं लगता है.
ईरान की मीडिया में छपे स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति की ओर से दिया गया आंकड़ा मंत्रालय के डेप्युटी ने तैयार किया था. बयान में कहा गया है कि बीमारी की वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए सेरोलॉजिकल टेस्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.
सेरोलॉजिकल टेस्ट में ये देखा जाता है कि किसी शख्स में एंटीबॉडी विकसित हुई है या नहीं. अगर किसी व्यक्ति में एंटीबॉडी विकसित मिलती है तो उसे कोरोना वायरस से संक्रमित माना जाता है. हालांकि, कई बार ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हुआ हो और उसमें एंटीबॉडी विकसित हो गई हो लेकिन वह अब पूरी तरह से ठीक हो चुका हो. कई देश विशाल आबादी में संक्रमण दर का पता लगाने और सैंपल जुटाने के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसमें कोरोना के गंभीर लक्षण वाले, हल्के लक्षण वाले या फिर बिना किसी लक्षण वाले सभी मरीज शामिल होते हैं.
ईरान की सरकार की ओर से बनाई गई कोरोना वायरस टास्क फोर्स की साइंटिफिक कमिटी के अध्यक्ष मुस्तफा कानेई ने इरिन वेबसाइट से कहा, सेरोलॉजिकल टेस्ट सिर्फ ये दिखाते हैं कि अतीत में कोई शख्स कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार हुआ था या नहीं. कोविड-19 बीमारी का सटीक तौर पर पता लगाने के लिए नाक और गले के सैंपल लेकर पीसीआर टेस्ट किया जाना जरूरी है.
ईरान मध्य-पूर्व एशिया में कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. अप्रैल महीने के मध्य में जब पाबंदियों में ढील दी जाने लगी तो कोरोना संक्रमण के मामले और मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ने लगा.
हालांकि, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने जो आंकड़ा दिया, उससे हर कोई हैरान रह गया. संसद के उपाध्यक्ष अलीरेजा सलीमी ने सरकार से मांग की कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को लेकर एक आधिकारिक आंकड़ा ही जारी किया जाए.
शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कोरोना संक्रमितों का 2.5 करोड़ का आंकड़ा दिया था. हालांकि, उन्होंने ये स्पष्ट नहीं बताया था कि ये आंकड़ा किस आधार पर आया है. ईरानी राष्ट्रपति ने ये भी कहा था कि 3-3.5 करोड़ लोगों के कोरोना की चपेट में आने की आशंका है. कोरोना वायरस टास्क फोर्स के एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि 2.5 करोड़ संक्रमितों का आंकड़ा कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों का है जिन्हें किसी मेडिकल परामर्श की जरूरत नहीं है.