वाराणसी की जनता को अब गंगा के सफर का एक नया और इको-फ्रेंडली अनुभव मिलने वाला है. देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली वाटर टैक्सी गुरुवार से काशी में सेवा देने लगेगी. केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जल मार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सुबह वाराणसी के नमो घाट पर हरी झंडी दिखाकर इसे रवाना करेंगे.
इस वाटर टैक्सी का संचालन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के तहत जलसा क्रूज लाइन करेगी. शुरूआत में यह वाटर टैक्सी नमो घाट से रविदास घाट तक चलाएगी. भविष्य में इसे असि घाट से मार्कण्डेय धाम तक भी चलाया जाएगा.
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प्रदूषण मुक्त और इको-फ्रेंडली यात्रा
इस हाइड्रोजन वाटर टैक्सी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह वायु और ध्वनि प्रदूषण से मुक्त है. यात्रियों को पूरी तरह स्वच्छ और आरामदायक सफर का अनुभव मिलेगा. संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे जलसा क्रूज लाइन के डायरेक्टर आशीष चावला ने बताया कि सुबह से शाम तक हर डेढ़-दो घंटे में यह टैक्सी सेवा देगा. नमो घाट से रविदास घाट और रविदास घाट से नमो घाट के लिए बारी-बारी से यह चलती रहेगी. पूरे दिन में यह लगभग 7 से 8 राउंड पूरे कर सकेगी.
सुविधाएं और तकनीक
वाटर टैक्सी में एक बार में 50 यात्री बैठ सकते हैं और इसके अलावा खड़े होकर भी सफर का आनंद लिया जा सकता है. यह हाइब्रिड इलेक्ट्रिक इंजन से लैस है, यानी हाइड्रोजन के अलावा इलेक्ट्रिक मोड में भी चल सकती है. पूरी यात्रा आरामदायक, स्वच्छ और इको-फ्रेंडली होगी. टिकट दर भी यात्रियों के लिए उचित रखी गई है, जो ₹500 प्रति व्यक्ति है.
निर्माण और आपूर्ति
पूर्णतया स्वदेशी इस जलयान का निर्माण कोच्चि शिपयार्ड में हुआ है. हाइड्रोजन की आपूर्ति बेंगलुरु की एक कंपनी करेगी. नमो घाट और असि घाट पर दो हाइड्रोजन पंपिंग स्टेशन भी बनाए गए हैं. वाटर टैक्सी में दो स्क्रीन लगी हैं, जिनसे यात्री गंगा और काशी के बारे में जानकारी ले सकते हैं.
सुरक्षा और अन्य सुविधाएं
सफर के दौरान जलपान पूरी तरह से वेजीटेरियन रहेगा. सफाई के लिए बायो टॉयलेट की व्यवस्था है और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इस नई हाइड्रोजन वाटर टैक्सी के जरिए वाराणसीवासियों और पर्यटकों को गंगा के सफर का एक नया, सुरक्षित और स्वच्छ अनुभव मिलेगा.