यूपी के संभल की जामा मस्जिद के पूर्व में श्री हरिहर मंदिर के दावे को लेकर विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि शहर में स्थित जामा मस्जिद पहले श्री हरिहर मंदिर हुआ करता था. तो मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये उनके समुदाय की ऐतिहासिक मस्जिद है और अदालत में इस मामले को उठाकर माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है. मामले की गंभीर को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी है. इस मुद्दे को लेकर संभल से हमारी साथी लगातार ग्राउंड रिपोर्ट कर रहे हैं. आइए जानते हैं संभल के ताजा हालात.
साथ ही प्रशासन ने शुक्रवार को संभल में जुमे की नमाज को लेकर पुलिस को अलर्ट जारी कर जामा मस्जिद के आसपास बैरिकेडिंग कर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया और पूरे संभल में बीएनएस की धारा 163 लागू कर 5 या पांच से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी.
'मैंने देखा है जंजीर से लटका घंटा'
संभल की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिमों समुदाय के बुजुर्गों ने दिए अपने अपने तर्क दिए हैं. हिंदू समुदाय के बुजुर्ग का कहना है कि मैंने जंजीर में लटका देखा है घंटा, जो प्रवेश द्वार के बाएं साइड पर स्थित है. मैंने कुआं, फब्बारे में पानी चलते हुए भी देखा है. उन्होंने दावा किया कि मंदिर से एक सुरंग दिल्ली तक जाती है, जिस पर हरा दरवाजा लगा था. घर आने वाले मेहमान देखने जाते थे हरिहर मंदिर, पुरातत्व विभाग के संरक्षण में होने की वजह से नहीं हो सकती है नमाज,परिक्रमा के लिए बने हुए है दो दरवाजे, बुर्ज से दिखाई देता है मंदिर का लुक,अयोध्या की तरह हमारे मंदिर को मिलना चाहिए.
वहीं, 90 वर्षीय मुस्लिम बुजुर्ग का कहना है कि मेरे से पहले मेरे दादा और परदादा मुगलिया सल्तनत से रहे हैं. जो कि जामा मस्जिद के इमाम थे. मुगल सरकार उनको वेतन भी देती थी. मेरे पास इस बात के सबूत मौजूद हैं. इस्लाम के कानून में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाना हमारे यहां जायज नहीं, ये मस्जिद मुगलिया सल्तनत से भी पुरानी है.
क्या बोले जामा मस्जिद के वकील
जामा मस्जिद के सदर एडवोकेट जफर अहमद का कहना है कि हिंदू पक्ष की तरफ से किया गया दावा बिल्कुल बेबुनियाद है और यह दावा सत्ता की हनक, माहौल खराब करने के लिए किया गया है. इस दावे में भारतीय उपासना अधिनियम, 1991 का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया है. एक से 2 घंटे के अंदर दावा किया गया और आर्डर होने के बाद तुरंत ही सर्वे भी हो गया. तो ऐसा करके केवल पैनिक पैदा करने का काम किया जा रहा है. सन 1926 में मुगल शासक बाबर के द्वारा इस मस्जिद को बनाया गया था, लेकिन यह मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी. बल्कि तक़ी मीर बेग ने उसको बनवाया था. यह सब केवल अफवाह है और मुसलमान को परेशान करने के लिए इस तरह के दावे डाले जा रहे हैं. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. हम इसको साबित करेंगे और हमारे पास सभी सबूत मौजूद हैं.
पूरा हो चुका है सर्वे: अधिवक्ता
उन्होंने कहा कि सर्वे वाले दिन एडवोकेट विष्णु जैन ने हमसे बताया था कि हमारा सर्वे लगभग पूरा हो चुका है और अगर दोबारा जरूरत होगी तो फिर से सर्वे किया जाएगा. लेकिन इस पर हम अपनी आपत्ति दाखिल करेंगे और अपना विरोध बताएंगे कि जब एक बार सर्वे कर लिया गया तो बार-बार उसको करने की आवश्यकता नहीं है. इससे जनता में गलत मैसेज जा रहा है और पूरी पब्लिक इससे परेशान है कि यह मस्जिद 500 से 600 साल पुरानी है तो हिंदू पक्ष इस पर कैसे मंदिर होने का दावा कर रहा है, जबकि आज तक हिंदू पक्ष ने कभी इसके मंदिर होने का कोई दावा नहीं किया. ये सब शहर का माहौल खराब करने की एक साजिश है. इसलिए इसमें कोई सच्चाई नहीं है. वहां आज भी मस्जिद है मस्जिद थी और मस्जिद ही रहेगी.
एडवोकेट के अनुसार, यह पुरातत्व विभाग के अधीन आती है और इसका बोर्ड भी वहां पर मौजूद है और ना ही वहां से कोई बोर्ड हटाया गया है. जहां तक बोर्ड हटाने की बात है तो हमें हटाने की जरूरत भी क्या ही है. पुरातत्व विभाग की टीम भी कई बार वहां पर आ चुकी है और उन्होंने जो भी कुछ किया है उसमें हमने अपना पूरा सहयोग किया है.
'हमारे पास हैं सबूत'
इस मामले पर जामा मस्जिद के सदर ने कहा कि अब इसका वाद कोर्ट में दायर हो चुका है. हम पूरी मजबूती और प्रमाणों के साथ इस मुकदमे को लड़ेंगे और जब तक लड़ा जाएगा तब तक इस मुकदमे को लड़ेंगे. जीत भी हमारी ही होगी, क्योंकि हमारे पास सबूत हैं और हिंदू पक्ष के पास वहां पर मंदिर होने का कोई सबूत नहीं है. जबकि हमारे पास इस बात का सबूत है कि वहां पर बाबर के आदेश पर मस्जिद बनाई गई है जो कि उस वक्त भी थी.
इसके अलावा दुर्गा कॉलोनी निवासी विनय गुप्ता बताते है कि हम लोग बचपन इसमें जाते रहे हैं और मेरे घर के पास ही ये हरिहर मंदिर स्थित है. जब हम लोग अंदर जाते थे तो हमे मंदिर के प्रमाण भी लगते थे. मुस्लिम लोग भी जानते है कि बाबर ने मंदिर को जगह पर मस्जिद बनाई थी. इसलिए इसमें मंदिर होने में कोई दोराय नहीं है, लेकिन सरकारों की वजह से इसका मस्जिद ही स्वरूप रहा. वैसे तो पुरातत्व विभाग के नियम के अंतर्गत इसमें नमाज भी नहीं होनी चाहिए. पहले भी जब अंग्रेजों से इसके मुकदमे चले थे तो न्याय नहीं मिला था. लेकिन अब हमारे मंदिर को भी अयोध्या के मंदिर की तरह न्याय मिलना चाहिए और पुनरुद्धार होना चाहिए. इसमें पीछे की तरफ परिक्रमा के लिए दो दरवाजे भी बने हुए हैं, जिनके आज तक कभी खोला ही नहीं गया. 1976 के दंगे के बाद किसी ने शिव जी पर जल चढ़ाने की कोशिश की थी. लेकिन उससे पहल हम लोग जाते रहते थे और उसके बुर्ज में भी मंदिर का लुक दिखाई देता है.
कोर्ट के आदेश पर हुआ सर्वे
मंगलवार को कोर्ट के आदेश पर सर्वे किया गया. मंगलवार की दोपहर चंदौसी स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की कोर्ट में पेश किए गए दावे पर अदालत ने संभल की जामा मस्जिद के एडवोकेट कमीशन का आदेश जारी किया था. इसके बाद मंगलवार देर शाम को एडवोकेट कमीशन की टीम मस्जिद का सर्वे करने के लिए पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जामा मस्जिद पर पहुंची. यहां एडवोकेट कमीशन के साथ ही हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के वकील की मौजूदगी में मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई. इसके बाद करीब दो घंटे तक टीम ने सर्वे किया.
क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील
बीते दिनों इस मामले में हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वे के लिये 'एडवोकेट कमीशन' गठित करने के निर्देश दिए. कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाएगी.
बकौल विष्णु शंकर जैन- संभल में श्री हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पर कल्कि अवतार होना है. वर्ष 1529 में बाबर ने मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी. इसलिए हमने याचिका लगाई है. सर्वे के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी. यह एएसआई द्वारा संरक्षित क्षेत्र भी है, ऐसे में किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता.