पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर बीते दिनों वायरल हुए कपल के निजी पलों वाले वीडियो ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है. कैमरे के भीतर दर्ज हो रहे उन क्षणों को बाहर लाने वाला कौन है? किसकी उंगलियों से वह वीडियो सबसे पहले फिसला? और आखिर कौन-कौन इस पूरे खेल का हिस्सा है? इन सवालों के बीच पुलिस ने जब टोल प्लाज़ा के बर्खास्त मैनेजर आशुतोष सरकार को गिरफ्तार कर पूछताछ की, तो उसके बयान ने कई चौंकाने वाले मोड़ सामने ला दिए.
पुलिस के सामने बैठा यह वही शख्स था, जिस पर आरोप है कि वह मैरिड कपल्स, अकेले सफर करने वाले लोगों और लंबी दूरी तय करने वाले यात्रियों के निजी पलों को सीसीटीवी कैमरों से रिकॉर्ड करवा कर गुप्त फाइलों में इकट्ठा कर लेता था. कुछ लोगों का दावा है कि वह इन वीडियो के आधार पर ब्लैकमेलिंग भी करता था. लेकिन जब पुलिस ने कड़ाई से सवाल पूछे, तो उसने जो कहानी सुनाई, उसने पूरा माहौल हिला दिया.
ढाई साल में हजारों मामले रिकॉर्ड हुए
पूछताछ में आशुतोष ने सबसे पहले यही कहा कि सर, यह पहला मामला नहीं है. कैमरों में ढाई साल में ऐसे हजारों दृश्य रिकॉर्ड हुए होंगे. लेकिन मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैंने एक भी वीडियो वायरल नहीं किया. उसके मुताबिक, उसके पास ATMS कंट्रोल रूम का एक्सेस था, पर वीडियो लीक करने वाला वह नहीं, बल्कि वही लोग हैं जिन्हें कभी ड्यूटी में लापरवाही के कारण कंपनी से निकाल दिया गया था. आशुतोष के अनुसार, सिस्टम में वीडियो एक्सेस रखने वाले कुल चार लोग थे खुद वह आशुतोष सरकार (एटीएमएस असिस्टेंट मैनेजर), आशुतोष तिवारी (सिस्टम टेक्नीशियन), प्रमोद कुमार (सिस्टम इंजीनियर) और शशांक शेखर (ट्रैफिक मैनेजर). उसके मुताबिक, पहले दो ने तो खुद को निर्दोष बताया, लेकिन शशांक शेखर ने खुद स्वीकार किया कि उसने स्पेसिफिक वीडियो एक ड्राइवर को दिया था. उसने यह भी कहा कि वह व्यक्ति वीडियो को आगे शेयर नहीं करेगा, इसलिए उसने निश्चिंत होकर फाइल दी.
टोल पर पूर्व में हटाए गए कर्मचारियों की गुटबाजी
आशुतोष का दावा है कि सारा झगड़ा पुराने गुस्से और बदले की भावना से शुरू हुआ. उसके मुताबिक जिन्हें कंपनी ने देर से आने या ड्यूटी में सोने के कारण हटाया था, वही लोग कहते थे. वे लगातार हमें धमकाते रहते थे, कहते थे कि अगर हम नौकरी नहीं करेंगे, तो तुम भी नहीं करोगे. उसके अनुसार, यह विवाद धीरे-धीरे बदला लेने तक पहुंच गया. किसी भी घटना को रिपोर्ट न करने की उनकी मजबूरी भी वह इसी तनाव से जोड़ता है.
वायरल वीडियो का सच: ड्राइवर कहां से आया
पुलिस के अनुसार, सबसे पहले जो वीडियो बाहर निकला, वह एक ड्राइवर के पास मिला. यह वही फुटेज था जिसमें एक नवविवाहित कपल के कार के अंदर के निजी क्षण कैद थे. 25 अक्टूबर को यह वीडियो वायरल होने लगा और 2 दिसंबर को सीएम योगी, सुल्तानपुर के डीएम और एसपी को लिखित शिकायत भेजी गई. शिकायत में कहा गया था कि एक्सप्रेस-वे पर कार्यरत आशुतोष सरकार ने यह वीडियो बनाकर कपल से 32 हजार रुपए वसूले. साथ ही तीन अन्य मामलों का भी उल्लेख किया गया.
आशुतोष ने पुलिस को बताया कि हम लगातार इस बात का ध्यान रखते थे कि वीडियो बाहर न जाए. लेकिन शशांक ने खुद कहा कि उसने वीडियो दिया है. जब मैंने पूछा कि क्यों किया, तो वह बोला कि जिसने लिया है, वह इसे वायरल नहीं करेगा. पर अब जब वीडियो बाहर आ चुका है, तो दोष हम पर लगाया जा रहा है. उसने पुलिस को एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सुनाई, जिसमें कथित रूप से शशांक स्वीकार करता है कि वह वीडियो एक ड्राइवर को दे चुका है.
कंपनी ने चारों कर्मचारियों को टर्मिनेट किया, पुलिस ने तीन को गिरफ्तार किया
वीडियो वायरल होने से पहले ही वेंडर कंपनी सुपर वेव कम्युनिकेशन एंड इंफ्रा सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (SCIPL) ने बैक डेट में आशुतोष सरकार को टर्मिनेट कर दिया था. बाद में कंपनी ने पुलिस को लिखित शिकायत भेजकर आशुतोष तिवारी, शशांक शेखर और प्रमोद कुमार को भी दोषी बताते हुए FIR दर्ज करने की अनुशंसा की. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज की और 9 दिसंबर को आशुतोष सरकार को गिरफ्तार कर लिया. 10 दिसंबर को हलियापुर पुलिस ने आशुतोष सरकार, आशुतोष तिवारी, प्रमोद कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. चौथा आरोपी शशांक शेखर अभी फरार है और पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही है.