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वृषभ संक्रांति

वृषभ संक्रांति

वृषभ संक्रांति

जब सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे वृषभ संक्रांति (Vrishabh Sankranti) कहा जाता है. सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है. संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. कहते हैं इस दिन यदि पितरों के लिए तर्पण, दान, धर्म, स्नान, आदि किया जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती हैं. 

सूर्य का मानव जीवन में बड़ा महत्व माना गया है. ज्योतिष शास्त्र की माने तो जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य अनुकूल स्थिति में होता है उन्हें समाज में मान सम्मान और जीवन में तमाम तरह के सुखों की प्राप्ति होती है (Vrishabh Sankranti importance).

वृषभ संक्रांति के दिन व्रत और पूजा का विशेष नियम बताया गया है. इस दिन पूजा पाठ करने से, अपनी यथाशक्ति अनुसार व्रत, दान, पुण्य, करने से जीवन सुख शांति बनी रहती है. ऐसा करने से जीवन में यश और वैभव की प्राप्ति होती है. वृषभ संक्रांति के दिन भगवान शिव के रूद्र रूप और सूर्य देवता की पूजा का विधान बताया गया है. सुबह जल्दी उठकर सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए. ऐसा करने से सूर्यनारायण भगवान की कृपा जीवन में हमेशा बनी रहती है, साथ ही कुंडली में मौजूद सूर्य से उत्पन्न दोष भी दूर होते हैं (Vrishabh Sankranti Rituals). 

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