सुमित कुमार सिंह
सुमित कुमार सिंह (Sumit Kumar Singh) बिहार के जमुई जिले की चकाई (Jamui, Bihar) विधानसभा से निर्दलीय विधायक हैं (Independent MLA). मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nithish Kumar) के मंत्रिमंडल 2022 में उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का मंत्री बनाया गया है (Sumit Kumar Singh, Minister of Science and Technology Department). ऐसा भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ है, जो पूरे बिहार में अकेले निर्दलीय विधायक बने हैं.
सुमित कुमार सिंह को उनके क्षेत्र में बिक्की सिंह (Bikki Singh) के नाम से भी जाना जाता है. सुमित सिंह की राजनीति की शुरुआत 2010 से हुई थी जब वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर बिहार के जमुई जिले की चकाई विधानसभा से पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. उन्होंने 2015 में निर्दलीय के रूप में भी चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हुए. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता ने उन्हें फिर से विधायक चुन लिया. सुमित कुमार सिंह को उनके विधानसभा क्षेत्र के सोनो-चकाई क्षेत्र में उनके विकास कार्यों के कारण विकास पुरुष के रूप में भी जाना जाता है, यही कारण है कि वह हर बार निर्दलीय चुनाव लड़ने के बावजूद लोगों के पसंदीदा बने हुए हैं (Sumit Kumar Singh Political Career).
सुमित सिंह का जन्म 1 फरवरी 1984 को जमुई, बिहार में हुआ था (Sumit Kumar Singh Age). उनके पिता स्वर्गीय नरेंद्र सिंह बिहार के एक मजबूत मंत्री हुआ करते थे (Sumit Kumar Singh Father). वह 2015 तक लालू सरकार से लेकर नीतीश सरकार तक बिहार में बड़े विभागों के मंत्री भी रहे हैं. इसके अलावा वे 2005 में दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सुमित सिंह के दादा स्वर्गीय श्रीकृष्ण सिंह बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, साथ ही वे एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे (Sumit Kumar Singh, Grandfather). सुमित अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं जो बिहार सरकार में मंत्री बने हैं. इसके अलावा उनके दो अन्य भाई विधायक रह चुके हैं (Sumit Kumar Singh Brother).
सुमित कुमार सिंह ने 2008 में हिंदी विद्यापीठ देवघर से स्नातक किया है (Sumit Kumar Singh Education).
विधायक सुमित कुमार सिंह स्टूडेंट लाइफ से सियासत में सक्रिय रहे हैं. साल 2010 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने चकाई से चुनाव लड़ा. जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) की टिकट पर चुनाव लड़कर वो विधानसभा पहुंचे. इसके बाद साल 2015 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा. हालांकि, उन्हें शिकस्त मिली.