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फिरनी

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भारत में मिठाइयों का अपना एक अलग महत्व है. किसी भी त्योहार, पूजा या खास मौके पर मिठाई के बिना जश्न अधूरा माना जाता है. इन्हीं पारंपरिक मिठाइयों में से एक है फिरनी (Phirni), जो अपनी मुलायम बनावट, मीठे स्वाद और ठंडे परोसने की शैली के कारण खास जगह रखती है.

फिरनी एक दूध और चावल से बनी मिठाई है, जिसे आमतौर पर मिट्टी के कुल्हड़ या कटोरों में ठंडा करके परोसा जाता है. यह देखने में खीर जैसी लगती है, लेकिन खीर से बिल्कुल अलग है. इसमें साबुत चावल की बजाय भिगोए और बारीक पीसे चावल का इस्तेमाल होता है.

ठंडी परोसी जाती है, इसलिए गर्मी के मौसम में यह बेहद पसंद की जाती है. केसर, इलायची और गुलाब जल जैसी खुशबुएं इसे और भी लाजवाब बनाती हैं. मिट्टी के बर्तनों में जमने से इसमें हल्की-मिट्टी की महक और ताजगी आ जाती है. 

इसे बनाने के लिए चावल को धोकर आधा घंटे भिगोकर बारीक पीसना होता है. फिर दूध को उबालकर उसमें चावल का पेस्ट डाला जाता है. इसे धीमी आंच पर लगातार चलाते रहना होता है ताकि यह गाढ़ा होता जाए. फिर इसमें चीनी, इलायची पाउडर और केसर डालें.

तैयार मिश्रण को कुल्हड़ों में डालकर फ्रिज में ठंडा होने के लिए 1-2 घंटे रख दें. ऊपर से बादाम-पिस्ता या गुलाब की पंखुड़ियों से सजाकर परोसें.

फिरनी सिर्फ एक मिठाई नहीं बल्कि त्योहारों और खुशियों का प्रतीक है. रमजान के महीने में इफ्तार के बाद फिरनी का विशेष महत्व होता है. इसके अलावा शादी-ब्याह और त्योहारों में भी इसे परोसना शुभ माना जाता है.

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