पात्रा चॉल घोटाला
सिद्धार्थ नगर (Siddharth Nagar, Goregaon, Mumbai), जिसे पात्रा चॉल के नाम से जाना जाता है (Patra Chawl), गोरेगांव के उत्तरी मुंबई उपनगर में स्थित है. इसमें कुल 672 घर थे, जो 47 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए थे. 2008 में, महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी म्हाडा (MHADA) ने पुनर्विकास परियोजना शुरू की और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (GSPL) को 672 किरायेदारों के पुनर्वास और इलाके के पुनर्विकास के लिए अनुबंध दिया. जीएसीपीएल, टेनेंट्स सोसाइटी और MHADA के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. तब से 14 साल हो चुके हैं लेकिन पात्रा चॉल के लोगों को अपना घर नहीं मिला है.
दरअसल इस घोटाले में ED ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने संजय राउत के घर तलाशी में 11.5 लाख रुपये भी जब्त किए थे (Patra Chawl Case Sanjay Raut). इस मामले में अप्रैल में ED ने राउत की पत्नी वर्षा राउत और उनके करीबियों की 11.15 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की थी (Patra Chawl Case Varsha Raut). ईडी ने कुछ समय पहले इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की थी. ED के मुताबिक, शिवसेना सांसद संजय राउत पात्रा चॉल से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवीण राउत के जरिए सीधे तौर पर शामिल थे (Patra Chawl Case Pravin Raut). ईडी ने इस मामले में 31 जुलाई 2022 को संजय राउत को गिरफ्तार किया था (Patra Chawl Case, ED Arrest Sanjay Raut). 7 नवंबर 2022 को संजय राउत को जमानत मिली (Patra Chawl Case Sanjay Raut Bail).
ईडी के चांच के बाद, दावा किया गया था कि संजय राउत के करीबी सहयोगी प्रवीण राउत और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के अन्य निदेशकों ने म्हाडा को गुमराह किया और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) को नौ निजी डेवलपर्स को बेच दिया जिसे एवज में उन्हें 901.79 करोड़ रुपये मिले. 672 विस्थापित किरायेदारों को घर नहीं मिला और न ही म्हाडा को अपना हिस्सा ही मिला (Patra Chawl Land Scam).
इसके बाद, GACPL ने मीडोज नामक एक परियोजना शुरू की, और फ्लैट खरीदारों से लगभग 138 करोड़ रुपये की बुकिंग राशि ली. ईडी ने आरोप लगाया है कि इन "अवैध गतिविधियों" के माध्यम से गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने घोटाले की कुल आय 1,039.79 करोड़ रुपये है. ईडी ने दावा किया है कि प्रवीण राउत ने रियल एस्टेट कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) से 100 करोड़ रुपये प्राप्त किए, और संजय राउत ने इसे “उनके करीबी सहयोगियों, परिवार के सदस्य, उनकी व्यावसायिक संस्थाओं” के परिवार सहित विभिन्न खातों में “डायवर्ट” किया. ईडी ने आरोप लगाया है कि 2010 में, 83 लाख रुपये, जो घोटाले की आय का हिस्सा था, संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को स्थानांतरित कर दिया गया, जिन्होंने दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए पैसे का इस्तेमाल किया (Patra Chawl Sacam).
2020 में, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के एक सेवानिवृत्त मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति नियुक्त की, जो 672 किरायेदारों के पुनर्वास और किराये के भुगतान के समाधान का अध्ययन और सिफारिश करेगी. समिति की सिफारिशों और म्हाडा की प्रतिक्रिया के बाद, राज्य मंत्रिमंडल ने जून 2021 में पात्रा चॉल के पुनर्विकास को फिर से मंजूरी दी. सरकार का प्रस्ताव जुलाई 2021 में जारी किया गया था (Maharashtra Government on Patra Chawl Case).
महिला ने 28 अगस्त को ईडी के अतिरिक्त निदेशक (पश्चिमी क्षेत्र) अमित दुआ को लिखे पत्र को एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने दावा किया कि 'मैंने देश के सभी अधिकारियों को अपनी दुर्दशा बताई है. कोई कार्रवाई नहीं की गई. कोई जांच नहीं की गई. कोई एफआईआर नहीं, क्यों? मेरे मरने के बाद न्याय देने का कोई मतलब नहीं होगा.'