पांढुर्ना (Pandhurna) मध्य प्रदेश एक जिला और प्रशासनिक मुख्यालय है (District of Madhya Pradesh). पांढुर्ना नगर व्यापारिक दृष्टि भी से एक महत्वपूर्ण नगर है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग-47 पर स्थित है. पांढुर्णा शहर को 30 वार्डों में बांटा गया है. 2011 की जनगणना के अनुसार पांढुर्ना नगर पालिका की जनसंख्या 1,93,818 थी, जिसमें 100,657 पुरुष औप 93,156 महिलाएं हैं. यहां प्रमुख हिंदू जातियों में क्षत्रिय पवार/भोयर पंवार, राजपूत, ब्राह्मण, कुनबी, रघुवंशी आदि शामिल हैं. पांढुर्ना (एम) में अनुसूचित जाति (एससी) 8.66 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) कुल जनसंख्या का 6.02 फीसदी है (Pandhurna Population).
पांढुर्ना एक विशिष्ट भारतीय गांव है जहां खेती मुख्य व्यवसाय है. कई किसान खरीफ फसल के रूप में संतरे और कपास उगाते हैं क्योंकि यहां की काली मिट्टी इसके उत्पादन के लिए उपयुक्त है. अन्य फसलें सोयाबीन, मूंगफली, फूलगोभी, चना और गेहूं हैं. यहां कई खाद्य तेल मिलें भी जिससे लोगों को रोजगार मिलता है (Pandhurna Econimy).
इस जिलें में हर साल भाद्रपद के दूसरे दिन, यानी अमावस्या के दिन एक अनोखा और प्रसिद्ध मेला आयोजित होता है. यह मेला 'गोटमार मेला' के नाम से जाना जाता है, जो जाम नदी के तट पर मनाया जाता. नदी के बीच में एक लंबा पेड़ है, जिसके शीर्ष पर एक झंडा लगा हुआ होता है. सावरगांव और पांढुर्ना गांवों के निवासी नदी के दोनों किनारों पर एकत्र होते हैं और आपस में पथराव करना शुरू करते हैं, इस दौरान जो नदी के बीच में जाकर पेड़ के ऊपर लगे झंडे को हटाने में सफल होता है, उसे विजयी माना जाता है.