नीलकंठ महादेव मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है, जो ऋषिकेश से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था का केंद्र माना जाता है (Neelkanth Mahadev Temple, Rishikesh).
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष उत्पन्न हुआ, तब समस्त सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष का पान किया. विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया, इसी कारण उन्हें “नीलकंठ” कहा गया. माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने विषपान किया था, इसलिए यह मंदिर विशेष धार्मिक महत्व रखता है.
नीलकंठ महादेव मंदिर समुद्र तल से लगभग 1330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद सुंदर है, जहां हरे-भरे जंगल, पहाड़ी रास्ते और शांत वातावरण मन को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं. मंदिर परिसर में प्राकृतिक झरने और शुद्ध जल स्रोत भी मौजूद हैं, जिन्हें भक्त पवित्र मानते हैं.
मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली में बनी है. गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है और दीवारों पर समुद्र मंथन से जुड़ी सुंदर मूर्तियां और चित्र उकेरे गए हैं. सावन मास, महाशिवरात्रि और कांवड़ यात्रा के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस दौरान हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठता है.
नीलकंठ महादेव मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक अनुभव के लिए भी जाना जाता है. यह स्थान उन लोगों के लिए आदर्श है जो शिव भक्ति के साथ-साथ प्रकृति की गोद में शांति की तलाश करते हैं. ऋषिकेश यात्रा नीलकंठ महादेव के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है.