मोदक (Modak) भारतीय मिठाईयों में एक अत्यंत प्रिय और पारंपरिक व्यंजन है, जो खासकर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के अवसर पर बड़े चाव से बनाया और चढ़ाया जाता है. इसे भगवान गणेश का प्रिय माना जाता है. मोदक का स्वाद, उसकी बनावट और उसकी सांस्कृतिक महत्ता इसे केवल मिठाई ही नहीं बल्कि भारतीय त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं.
मोदक का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है. इसे ‘सुखदायक’ और ‘शुभ फल देने वाला’ माना जाता है. महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के दौरान घर-घर में मोदक बनाना और भगवान गणेश को भोग लगाना परंपरा रही है. इसका धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि माना जाता है कि भगवान गणेश मोदक के प्रेमी हैं और यह उनका प्रिय भोजन है.
मोदक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- स्टीम्ड मोदक (उकद मोदक)- यह सबसे पारंपरिक मोदक है. इसके बाहर का खोल चावल के आटे या गेहूं के आटे से बनाया जाता है, और अंदर का भरावन मीठे नारियल और गुड़ का होता है. इसे स्टीमर में भाप देकर पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी नर्म और लाजवाब बन जाता है.
फ्राई किए हुए मोदक (तले हुए मोदक)- यह स्वाद में अधिक कुरकुरा और खुशबूदार होते हैं. बाहरी परत तली हुई होने के कारण इसमें हल्का क्रंच आता है.
मोदक में नारियल और गुड़ होने के कारण यह ऊर्जा का अच्छा स्रोत है. गुड़ पाचन में सहायक और आयरन का अच्छा स्रोत है. हालांकि, मोदक में शक्कर और आटे की मात्रा अधिक होने के कारण इसे संतुलित मात्रा में ही खाना चाहिए.
मोदक केवल मिठाई नहीं, बल्कि त्योहारों की भावना और परिवारिक एकता का प्रतीक है. गणेश चतुर्थी पर मोदक बनाने की प्रक्रिया परिवार के सदस्यों को एक साथ लाती है और बच्चों में पारंपरिक संस्कृति के प्रति प्रेम जगाती है.