scorecardresearch
 
Advertisement
  • Hindi News
  • Topic
  • लिंगराज मंदिर,भुवनेश्वर

लिंगराज मंदिर,भुवनेश्वर

लिंगराज मंदिर,भुवनेश्वर

लिंगराज मंदिर,भुवनेश्वर

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर (Lingaraj Temple, Bhubaneswar) न केवल राज्य का सबसे बड़ा और प्राचीन मंदिर है, बल्कि यह भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में भी गिना जाता है. यह मंदिर भगवान शिव (लिंगराज या हरि-हर) को समर्पित है, जहां शिव और विष्णु दोनों तत्वों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. इसी कारण इसे “हरि-हर क्षेत्र” भी कहा जाता है.

लिंगराज मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोमवंशी शासकों द्वारा कराया गया था. यह मंदिर कलिंग शैली की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है. मंदिर का मुख्य शिखर लगभग 180 फीट ऊंचा है, जो दूर से ही श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करता है. मंदिर परिसर में लगभग 50 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर स्थित हैं, जो इसे एक विशाल धार्मिक परिसर बनाते हैं.

मंदिर में स्थापित स्वयंभू शिवलिंग को “लिंगराज” कहा जाता है. यह शिवलिंग सामान्य शिवलिंग से अलग है क्योंकि इसमें आधा भाग शिव और आधा भाग विष्णु का प्रतीक माना जाता है. मंदिर में प्रतिदिन पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना होती है, जिसमें स्थानीय ब्राह्मणों की विशेष भूमिका होती है.

लिंगराज मंदिर से जुड़ा बिंदु सागर तालाब भी अत्यंत पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इस तालाब में भारत की सभी पवित्र नदियों का जल समाहित है. महाशिवरात्रि, चंदन यात्रा और रथ यात्रा जैसे पर्वों पर मंदिर में विशेष उत्सव और भव्य आयोजन होते हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं.

ध्यान देने योग्य बात यह है कि लिंगराज मंदिर में केवल हिंदू श्रद्धालुओं को ही प्रवेश की अनुमति है, हालांकि बाहरी लोग मंदिर की भव्यता को बाहर से देख सकते हैं. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक विरासत का भी महत्वपूर्ण प्रतीक है.

लिंगराज मंदिर आज भी श्रद्धा, आस्था और स्थापत्य सौंदर्य का जीवंत उदाहरण बना हुआ है.

और पढ़ें
Advertisement
Advertisement