जिवितपुत्रिका 2022
जिवितपुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2022) जिसे जितिया व्रत (Jitiya Vrat) भी कहा जाता है. यह तीन दिवसीय हिंदू त्योहार है जो अश्विन महीने में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक मनाया जाता है. यह मुख्य रूप से भारतीय राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के कुछ समुदाय में मनाया जाता है. माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत में बिना पानी और फल के उपवास रखना होता है. इस साल यह 16, 17 और 18 सितंबर तक मनाया जाएगा (Jivitputrika Vrat 2022 Date).
यह तीन दिन तक चलने वाला त्योहार है जिसमें पहला दिन नहाई-खाई होता है, जहां माताएं स्नान करने के बाद पूजा करती है फिर भोजन करती हैं. यह भोजन शाकाहारी होना चाहिए जो घी और गुलाबी नमक से तैयार किया जाता है. दूसरा दिन, खुर-जितिया या जिवितपुत्रिका दिन होता है और माताएं पूरा दिन और पूरी रात उपवास रखती हैं. तीसरा दिन पारण होता है जब माताएं उपवास तोड़ती हैं. सुबह स्नान के बाद पूजा करती हैं और कुछ दान देने के बाद भोजन करती हैं. पारण के भोजन में करी चावल, नोनी साग और मडुआ रोटी जैसे कई प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं (Jivitputrika Vrat 2022 Three Days Fast and Rituals).
एक कथा के अनुसार, जिमुत्वन्हान गंधर्वों का राजा थे. उन्होंने अपना राज्य अपने भाइयों को छोड़ दिया और अपने पिता की सेवा करने के लिए वन चले गए. वहां उन्होंने एक बूढ़ी औरत को विलाप करते देखा. उसने बताया कि वह नाग के वंशों से आती है. एक शपथ के कारण उसे कल अपने इकलौते पुत्र को भोजन कराने के लिए गरुड़ को अर्पित करना है. जिमुतवनहन ने अपने इकलौते पुत्र की रक्षा करने का वचन दिया. अगले दिन वह चट्टानों की शय्या पर लेट गया और गरुड़ को खुद को अर्पण कर दिया. गरुड़ ने आकर जिमुतवन पर अपने पंजों से हमला कर दिया. जिमुत्वन्हान शांत रहा और फिर गरुड़ ने हमला करना बंद कर दिया. गरुड़ ने उनकी पहचान पूछी और फिर जिमुतवनहन ने पूरी कहानी सुनाई. उनकी दयालुता और परोपकार से प्रभावित होकर, गरुड़ ने वादा किया कि वह नागवंशियों से कोई बलिदान नहीं लेंगे. इस पौराणिक कथा को संजोने के लिए माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए व्रत रखती हैं (Jivitputrika Vrat Story).