हृदयनाथ मंगेशकर, संगीत निर्देशक
हृदयनाथ मंगेशकर (Hridaynath Mangeshkar) एक भारतीय संगीत निर्देशक हैं (शusic director). वह संगीतकार स्वर्गीय दीनानाथ मंगेशकर के इकलौते बेटे (Hridaynath Mangeshkar’s father) और स्वर्गीय लता मंगेशकर और आशा भोसले के छोटे भाई हैं (Hridaynath Mangeshkar’s sisters). वह सबसे बड़ी बहन लता से 8 साल और आशा से 4 साल छोटे हैं. उन्हें संगीत और फिल्म उद्योग में बालासाहेब (Balasaheb) के नाम से जाना जाता है.
हृदयनाथ मंगेशकर की मां गोमांतक मराठा समाज से थीं (Hridaynath Mangeshkar’s mother). वह चार बहनों, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मीना खादीकर और उषा मंगेशकर के छोटे भाई हैं. उन्होंने मराठी कॉमेडियन दमुआना मालवंकर की बेटी भारती मालवंकर मंगेशकर से शादी की है (Hridaynath Mangeshkar’s wife). उनके दो बेटे आदिनाथ और वैजनाथ और एक बेटी राधा है (Hridaynath Mangeshkar’s son and saughter). 2009 में, राधा ने अपना पहला एल्बम नव माजा शामी लॉन्च किया.
हृदयनाथ ने अपने संगीत करियर की शुरुआत 1955 में मराठी फिल्म आकाश गंगा से की थी. तब से, उन्होंने विभिन्न मराठी फिल्मों जैसे संसार, चानी, हा खेल सवल्यंचा, जानकी, जैत रे जैत, उम्बर्था और निवडुंग में बतौर संगीत निर्देशक काम किया है. उन्होंने सुबह, लेकिन... और माया मेमसाब जैसी बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी संगीत निर्देशन किया है. वह अपने काम को लेकर काफी सेलेक्टिव रहे हैं. उन्होंने मराठी और हिंदी में गाने तैयार किए हैं. उनके गीतों में अक्सर जटिल मीटर होते हैं लिहाजा इसे प्रस्तुत करने के लिए ज्यादा रेंज और गहराई के गायकों की आवश्यकता होती है. मंगेशकर ने विनायक दामोदर सावरकर की कविता सागर प्राण तलामला को संगीतबद्ध किया है. उन्होंने 1982 में ज्ञानेश्वर मौली नाम से एक एल्बम जारी की. इसमें उन्होंने मराठी साहित्य के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक, ज्ञानेश्वर की रचनाओं को संगीत में पिरोया, जो मराठी में आधुनिक भक्ति संगीत के लिए मानक स्थापित करता है. उन्होंने दूरदर्शन के संगीत नाटक फूलवंती के लिए भी संगीत तैयार किया (Hridaynath Mangeshkar career).
ह्रदयनाथ मंगेशकर को अपने पूरे करियर में कई पुरस्कारों मिले. उन्हें 1990 में फिल्म लेकिन... के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. वह लता मंगेशकर पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं. उन्हें भीमसेन जोशी और जसराज ने पंडित की उपाधि से सम्मानित किया था. शंकराचार्य ने उन्हें भाव गंधर्व की उपाधि प्रदान की थी. 2009 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था (Hridaynath Mangeshkar awards).
वह कवि-संत मीरा की कविताओं और गीतों को दो एल्बमों में रिलीज करने वाले पहले भारतीय संगीतकार भी हैं, जिनका शीर्षक चला वही देस और मीरा भजन है. उन्होंने गालिब की गजलों वाला एक एल्बम तैयार किया, जिसका शीर्षक गालिब था और जिसे लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने गाया था.