हरिद्वार का नाम आते ही सबसे पहले जिस स्थान की छवि मन में उभरती है, वह है हर की पौड़ी. इसी पावन स्थल के समीप स्थित गंगा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र है. यह मंदिर मां गंगा को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी देवी माना जाता है (Ganga Mata Temple, Har Ki Pauri, Haridwar).
हर की पौड़ी का अर्थ है “हरि के चरण”. मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु का चरणचिह्न अंकित है और यहीं से गंगा नदी पहाड़ों से उतरकर मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है. गंगा मंदिर इसी आध्यात्मिक वातावरण का अभिन्न हिस्सा है, जहां देश-विदेश से आए श्रद्धालु दर्शन और पूजा के लिए आते हैं.
मंदिर की वास्तुकला सरल लेकिन दिव्य है. यहां प्रतिदिन मां गंगा की विशेष आरती और पूजा होती है. सुबह के समय स्नान और पूजन का विशेष महत्व माना जाता है, जबकि संध्या काल में होने वाली गंगा आरती इस स्थान की सबसे बड़ी पहचान है. दीपों की रोशनी, मंत्रोच्चार और शंखध्वनि के बीच बहती गंगा का दृश्य अत्यंत भावुक और अलौकिक अनुभव कराता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा मंदिर में पूजा करने और हर की पौड़ी पर स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शांति मिलती है. यही कारण है कि कुंभ मेले, गंगा दशहरा और कार्तिक पूर्णिमा जैसे पर्वों पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
गंगा मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है. यह स्थान मन, शरीर और आत्मा, तीनों को शुद्ध करने का अनुभव प्रदान करता है और हरिद्वार की आध्यात्मिक पहचान को पूर्णता देता है.