भारत के इतिहास में कई महान नेता हुए हैं जिन्होंने अपने ज्ञान, ईमानदारी और समर्पण से देश की सेवा की है. ऐसे ही एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे. डॉ. फखरुद्दीन अली अहमद (Dr Fakhruddin Ali Ahmed) 20 अगस्त 1974 को भारत के पांचवें राष्ट्रपति बने.
डॉ. फखरुद्दीन अली अहमद का जन्म 13 मई 1905 को दिल्ली में हुआ था. वे एक प्रतिष्ठित और शिक्षित मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता कर्नल जलालुद्दीन अहमद ब्रिटिश शासन के समय एक चिकित्सक थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली और लाहौर में हुई, जिसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए.
फखरुद्दीन अली अहमद ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में लिन्कन्स इन, लंदन से कानून की पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे.
भारत लौटने के बाद डॉ. फखरुद्दीन अली अहमद ने वकालत शुरू की, लेकिन जल्दी ही उनका झुकाव राजनीति की ओर हुआ. वे पंडित जवाहरलाल नेहरू के करीबी मित्रों में से एक थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय रूप से शामिल हो गए. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
भारत की आजादी के बाद, वे असम से कई बार विधायक और सांसद चुने गए. उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में कार्य किया जैसे- खाद्य और कृषि मंत्री, उद्योग मंत्री, शिक्षा मंत्री, और न्याय एवं विधि मंत्री रहे.
राष्ट्रपति के रूप उनका कार्यकाल राजनीतिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण रहा, विशेषकर 1975 में लगाए गए आपातकाल के कारण. इस निर्णय के लिए उनकी भूमिका को लेकर काफी चर्चा और आलोचना भी हुई. हालांकि, वे संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए हमेशा लोकतंत्र की रक्षा में खड़े रहे.
डॉ. फखरुद्दीन अली अहमद का निधन 11 फरवरी 1977 को अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ही हुआ. वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे जिनका कार्यकाल के दौरान निधन हुआ.
उनकी स्मृति में कई संस्थानों और सड़कों का नाम रखा गया है. उनके नाम पर नई दिल्ली में स्थित 'फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल' आज भी उनकी विरासत का प्रतीक है.