भारत अपनी प्राचीन स्थापत्य कला और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. इन्हीं धरोहरों में से एक है चांद बावड़ी (Chand Bawari), जो राजस्थान के आबानेरी गाँव (जिला दौसा) में स्थित है. यह बावड़ी न केवल अपनी खूबसूरत सीढ़ियों के लिए जानी जाती है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता भी अद्वितीय है.
चांद बावड़ी का निर्माण 9वीं शताब्दी में निकुंभ वंश के राजा चंदा ने करवाया था. राजा चंदा के नाम पर ही इसका नाम चांद बावड़ी पड़ा. राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्र में पानी के संरक्षण के लिए बावड़ी जैसी संरचनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण थीं.
यह बावड़ी दुनिया की सबसे गहरी और बड़ी बावड़ियों में से एक है. इसकी गहराई लगभग 64 फीट है. इसमें करीब 3,500 संकरी सीढ़ियाँ हैं, जो त्रिकोणीय ढंग से बनी हुई हैं. बावड़ी में कुल 13 मंजिलें हैं और इसकी अनोखी सीढ़ीनुमा संरचना इसे स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना बनाती है.
चांद बावड़ी का मुख्य उद्देश्य पानी का संग्रह करना था, ताकि स्थानीय लोग वर्ष भर इसका उपयोग कर सकें. गर्मियों में लोग यहां ठंडी हवा का आनंद लेने भी आते थे. यह बावड़ी सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों का भी केंद्र रही.
चांद बावड़ी के सामने हर्षत माता का मंदिर स्थित है, जो मां हर्षत को समर्पित है. माना जाता है कि मां हर्षत गांव में खुशी और प्रसन्नता लाने वाली देवी थीं. मंदिर और बावड़ी का यह संगम इस क्षेत्र को सांस्कृतिक दृष्टि से और भी खास बनाता है.
आज चांद बावड़ी भारत की धरोहरों में शामिल है और देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व इसे राजस्थान पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं. कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी यहां हो चुकी है.