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बिहार वैभव

बिहार वैभव

बिहार वैभव

बिहार, जिसे प्राचीन भारत की सांस्कृतिक, बौद्धिक, वैभव और राजनीतिक धरोहर के रूप में जाना जाता है, अब एक बार फिर अपने वैभव को लौटाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. ऐतिहासिक महत्त्व, समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और प्रतिभाशाली मानव संसाधन से भरपूर यह राज्य अब नवाचार, बुनियादी ढांचे और सामाजिक सुधार के क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है (Bihar Vaibhav).

बिहार का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है. यह राज्य नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों की भूमि रहा है. बौद्ध धर्म का उद्भव, सम्राट अशोक का शांति संदेश, चंद्रगुप्त मौर्य की राजनीतिक कुशलता- इन सभी ने बिहार को वैश्विक मंच पर गौरव दिलाया.

यह वही भूमि है जहां भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान प्राप्त हुआ और महावीर ने जैन धर्म का प्रचार किया.

बिहार ने वर्षों तक भारत के बौद्धिक विकास को दिशा दी. नालंदा विश्वविद्यालय, जो अब पुनर्जीवित हो रहा है, एक बार विश्व का सबसे बड़ा ज्ञान केंद्र था. आज भी राज्य के छात्र UPSC, JEE, और NEET जैसी परीक्षाओं में शीर्ष स्थान हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं.

साथ ही, बिहार तेजी से आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास की ओर बढ़ रहा है- राजगीर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, पटना मेट्रो रेल परियोजना, बिहार स्टार्टअप नीति 2025 के जरिए युवाओं को प्रोत्साहन, नवाचार केंद्रों और टेक्नोलॉजी हब की स्थापना, राज्य सरकार की योजनाएं अब सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई देने लगी हैं.

बिहार पर्यटन विभाग अब बौद्ध सर्किट, गांधी सर्किट, और धार्मिक स्थलों को विकसित कर पर्यटन को प्रोत्साहित कर रहा है. वैशाली, नालंदा, बोधगया और सासाराम जैसे ऐतिहासिक स्थल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं.

बिहार को आगे बढ़ाने के लिए अभी भी कई चुनौतियों से निपटना है - जैसे बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार. लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह से डिजिटल परिवर्तन, सड़क निर्माण, और बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है, वह उम्मीद की किरण दिखाता है.

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