महाराष्ट्र के पुणे जिले की घने जंगलों और ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित भीमाशंकर मंदिर (Bhimashankar Temple) देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. सह्याद्रि पर्वत की गोद में बसे इस मंदिर का वातावरण इतना शांत और दिव्य है कि यहां पहुंचते ही श्रद्धालुओं को अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है. समुद्र तल से लगभग 3500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह प्राचीन धाम न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने राक्षस भिम का वध यहीं पर किया था. कहा जाता है कि कंकासुर और धूम्रलोचन के भाई भिम ने अत्याचार बढ़ा दिए थे, जिसके बाद भगवान शिव ने उसे पराजित कर यहीं अवतार लिया. इसी कारण इस स्थान का नाम “भीमाशंकर” पड़ा और यहां स्थापित शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग का दर्जा मिला. इस मंदिर का उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है, जो इसके धार्मिक महत्व को और मजबूत करता है.
भीमाशंकर मंदिर का वास्तुकला शैली नागर और हेमाडपंथि का अद्भुत मिश्रण है. पत्थरों से बने भव्य सभामंडप, गर्भगृह और नक्काशीदार स्तंभ इसकी प्राचीनता को दर्शाते हैं. मंदिर परिसर में बहने वाली भीमा नदी का उद्गम भी यहीं माना जाता है, जो आगे चलकर कृष्णा नदी में मिलती है.
मंदिर के आसपास फैला हुआ भीमाशंकर वाइल्डलाइफ सेंचुरी प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं. यहां दुर्लभ प्रजाति का जायंट फ्लाइंग स्क्विरल (शीलिंद्री), कई पक्षी और घनी हरियाली देखने को मिलती है. मानसून के दौरान यहां का दृश्य बेहद मनोहारी हो जाता है.
हर साल शिवरात्रि और सावन माह में लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए भी यह स्थान बेहद खास है, क्योंकि मंदिर तक पहुंचने के कई खूबसूरत ट्रेकिंग रूट मौजूद हैं.
प्राकृतिक सुंदरता, पौराणिक इतिहास और आध्यात्मिक शांति, भीमाशंकर मंदिर इन सभी का अनोखा संगम है.
bhimashankar jyotirlinga Temple: महाराष्ट्र के पुणे में 3250 फीट की ऊंचाई पर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग देश के आकर्षक और विख्यात धार्मिक स्थलों में से एक है. इसे मोटे आकार की वजह से मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. क्या हैं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कहानियां? देखें खास कार्यक्रम 'सत्यम शिवम सुंदरम'.