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अजय वर्मा | गैंगस्टर

अजय वर्मा | गैंगस्टर

अजय वर्मा | गैंगस्टर

अजय वर्मा (Ajay Verma) का नाम बिहार और उत्तर प्रदेश के आपराधिक जगत में एक समय काफी चर्चित रहा है. एक आम परिवार से आने वाला अजय वर्मा का नाम संगठित अपराध, रंगदारी, हत्या और जमीन कब्जे जैसे गंभीर मामलों में दर्ज है. अपराध की दुनिया में उसका कद इतना बढ़ा कि वह पुलिस और खुफिया एजेंसियों की निगरानी सूची में शीर्ष पर पहुंच गया.

वर्तमान में अजय वर्मा जेल में बंद है और उस पर दर्ज कई मामलों की सुनवाई अदालत में चल रही है. 

4 जुलाई 2025 को पटना में गोपाल खेमका हत्या (Gopal Khemka Murder Case) में भी अजय वर्मा शक के घेरे में है. दरअसल उसने गोपाल खेमका की हत्या का लाइव वीडियो मंगवाकर देखा था. जानकारी के अनुसार, खेमका मर्डर केस में पुलिस ने बेऊर जेल में जाकर उससे पूछताछ की. जेल में छापेमारी के दौरान पुलिस को कई मोबाइल फोन मिले, जिससे यह संदेह और मजबूत हो गया कि गोपाल खेमका की हत्या की साजिश जेल के अंदर से ही रची गई थी.

अजय वर्मा का जन्म बिहार के एक छोटे कस्बे में हुआ था. पढ़ाई-लिखाई में औसत और स्वभाव से चुप रहने वाला अजय युवावस्था में छोटे-मोटे झगड़ों और लड़ाई-झगड़े करता, लेकिन जल्द ही उसने अपराध को करियर बना लिया.

साल 2001 में अजय वर्मा का नाम पहली बार सुर्खियों में आया, जब उसने एक स्थानीय कारोबारी से रंगदारी वसूलने के लिए हथियारबंद हमला किया. यह घटना स्थानीय स्तर पर उसकी पहचान को मजबूत करने वाली साबित हुई. इसके बाद उसने कई ऐसी वारदातों को अंजाम दिया, जिसने पुलिस के लिए उसे पकड़ना एक चुनौती बना दिया.

अजय वर्मा ने धीरे-धीरे अपना खुद का गैंग खड़ा किया. जमीन कब्जा, कोयला व्यापार, सरकारी टेंडर में धांधली और सुपारी किलिंग जैसे मामलों में उसकी गैंग संलिप्त हो गई. कहा जाता है कि उसके कुछ स्थानीय नेताओं और अधिकारियों से भी गहरे संबंध थे, जिससे उसे कानूनी कार्रवाई से कुछ हद तक सुरक्षा मिलती रही.

लगातार बढ़ते दबाव और मीडिया की सक्रियता के चलते पुलिस ने अजय वर्मा के खिलाफ विशेष अभियान शुरू किया. अंततः वर्ष 2014 में एक मुठभेड़ के दौरान अजय वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, अवैध हथियार रखने और संगठित अपराध अधिनियम (UAPA) के तहत कई मामले दर्ज थे.

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