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पिच पर 'दीवार' ‌बनकर खड़े हो जाते हैं मौजूदा दौर के ये 5 बल्लेबाज

टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी तकनीक काफी मायने रखती है. राहुल द्रविड़, रिकी पोंटिंग, ब्रायन लारा जैसे बल्लेबाजों की रक्षात्मक तकनीक काफी मजबूत थी.

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 Cheteshwar Pujara (Getty)
Cheteshwar Pujara (Getty)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पांच दिवसीय प्रारूप में बल्लेबाजी करना अब उतना आसान नहीं
  • कुछ बल्लेबाज बेहतरीन डिफेंस की बदौलत कठिन परिस्थितियों में भी सफल रहे हैं

टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी तकनीक काफी मायने रखती है. राहुल द्रविड़, रिकी पोंटिंग, ब्रायन लारा जैसे बल्लेबाजों की रक्षात्मक तकनीक काफी मजबूत थी. इसी वजह से इन दिग्गजों को आउट करने में गेंदबाजों को काफी पसीना बहाना पड़ता था. कई बल्लेबाज 'कॉपी बुक स्टाइल' में बैटिंग करना पसंद करते हैं, जबकि कुछ बल्लेबाजों की अपनी अनूठी शैली होती है. हाल के दिनों में बल्लेबाजों के लिए टेस्ट क्रिकेट में खुद को स्थापित करना काफी चुनौतीपूर्ण हो चुका है. पांच दिवसीय प्रारूप में बल्लेबाजी करना अब उतना आसान नहीं है, जितना 10 साल पहले था. 

हाल के वर्षों में पांच दिनों के अंदर ही कई बार मैच खत्म हो चुके हैं. कुछ बल्लेबाज बेहतरीन डिफेंस की बदौलत इन कठिन परिस्थितियों में भी सफल रहे हैं. जिसके चलते उन्हें टेस्ट क्रिकेट में इस दौर का बेहतरीन प्लेयर माना जाता है और टीमें उन पर काफी हद तक निर्भर रहती हैं.

आइए नजर डालते हैं उन पांच बल्लेबाजों के बारे में, जिनकी तकनीक काफी मजबूत है- 

1. चेतेश्वर पुजारा: चेतेश्वर पुजारा को राहुल द्रविड़ के बाद टीम इंडिया का 'वॉल' माना जाता है. बल्लेबाजी के दौरान उनके मजबूत डिफेंस को भेदना किसी भी गेंदबाज के लिए आसान नहीं रहता. 33 साल के पुजारा धैर्य और दृढ़ संकल्प की बदौलत विपक्षी हमलों को कुंद कर देते हैं. चेतेश्वर पुजारा ने 85 टेस्ट मैचों में 46.59 की औसत से 6244 रन बनाए हैं. इस दौरान उनके बल्ले से 18 शतक और 29 अर्धशतक निकले हैं. कई बार टीम की जरूरतों के खिलाफ संभलकर खेलने के चलते पुजारा को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है.

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2020-21 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में पुजारा ने अटूट ढैर्य और साहस का परिचय दिया था. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने उनके शरीर पर कई वार किए, लेकिन वह अपने क्रीज पर जमे रहे थे. सिडनी टेस्ट में पुजारा ने 50 और 77 रनों की पारियां खेलीं, जबकि ब्रिस्बेन में उन्होंने दूसरी पारी में 56 रनों की पारी खेलकर सीरीज जीत में अहम योगदान दिया था. पुजारा ने इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेला है, जिससे उनके कौशल में भी निखार आया है.

2. दिमुथ करुणारत्ने: दिमुथ करुणारत्ने काफी समय से श्रीलंकाई बैटिंग का स्तंभ रहे हैं. साथ ही उन्होंने कुशलता से अपनी टीम का नेतृत्व भी किया है. श्रीलंकाई टीम का हालिया प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा है, लेकिन बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने अपनी टीम के लिए काफी रन बनाए हैं. दिमुथ करुणारत्ने जिम्मेदारी लेना पसंद करते हैं और उनके डिफेंस पर हावी होना मुश्किल रहता है. टेस्ट क्रिकेट में कप्तान बनने के बाद उनकी बल्लेबाजी और निखरी है. हाल ही में बांग्लादेश के खिलाफ दो मैचों की सीरीज में करुणारत्ने ने तीन पारियों में दो शतकों की बदौलत 428 रन बनाए थे. 

पल्लेकल में हुए पहले टेस्ट में करुणारत्ने ने 244 रनों की शानदार पारी खेली थी, जो टेस्ट क्रिकेट में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है. 33 साल के करुणारत्ने ने अब तक 72 टेस्ट मैचों में 5176 रन बनाए हैं, जिसमें 12 शतक और 26 अर्धशतक शामिल रहे. 

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3. केन विलियमसन: न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन धमाकेदार स्ट्रोक खेलने के लिए नहीं जाने जाते हैं. वह गेंदों को गैप में खेलकर रन बनाना पसंद करते हैं. 2010 में अपना इंटरनेशनल डेब्यू करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. बल्ले के साथ ही कप्तानी में भी विलियमसन ने अपना प्रतिभा का लोहा मनवाया है. विलियमसन ने 83 टेस्ट में 54.31 की औसत से 7115 रन बनाए हैं. इस दौरान उनके बल्ले से 24 शतक और 32 अर्धशतक निकले हैं. 

पिछले पांच महीनों में दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने टेस्ट क्रिकेट में 251 और 238 के स्कोर बनाए, जो बल्ले के साथ उनकी क्षमता को दिखाते हैं. क्रीज में सेट हो जाने के बाद विलियमसन को आउट करना विपक्षी टीमों के लिए काफी मुश्किल हो जाता है. क्रिकेट की परंपरागत कॉपीबुक शैली में बल्लेबाजी करने के बावजूद वह टी20 क्रिकेट में भी काफी सफल रहे हैं. विलियमसन ने ओवरऑल टी20 में 125.55 की स्ट्राइक रेट से 5291रन बनाए हैं. 

4.स्टीव स्मिथ: ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्टीव स्मिथ अपने अनोखे बैटिंग स्टांस के लिए जाने जाते हैं. साथ ही उनका क्रीज में खड़े होने का अंदाज भी बाकी बल्लेबाजों से काफी अलग है. इन सबके बावजूद उनका डिफेंस काफी मजबूत है. 2010 में टेस्ट डेब्यू करने के बाद स्मिथ ने बड़े प्रारूप में खुद को स्थापित किया है. हालांकि  इस दौरान स्मिथ के दामन पर कुछ दाग भी लगे. 2018 में बॉल टेंपरिंग विवाद के बाद स्मिथ को ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी से बर्खास्त कर दिया गया था. साथ ही उन पर एक साल का प्रतिबंध लगाया गया था. जिसके बाद स्मिथ ने नंबर वन रैंक के साथ ही अपनी साख भी गंवा दी थी. 

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2019 में एशेज सीरीज के जरिए स्मिथ ने टेस्ट क्रिकेट में शानदार वापसी की थी. उस सीरीज में स्टीव स्मिथ ने 110.57 के बेहतरीन एवरेज से कुल 774 रन बनाए. स्टीव स्मिथ ने अबतक 77 टेस्ट मैचों में 61.80 की औसत से 7540 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 27 शतक और 31 अर्द्धशतक लगाए हैं. 

5. क्रेग ब्रेथवेट: क्रेग ब्रेथवेट की बैटिंग शैली वेस्टइंडीज के दूसरे बल्लेबाजों से काफी अलग हैं. 28 साल के ब्रेथवेट आक्रामक शॉट खेलने की बजाय क्रीज पर धैर्य दिखाना पसंद करते हैं. ब्रेथवेट ने अपने करियर में भले ही एक भी टी20 मैच नहीं खेला हो, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने खुद को स्थापित किया है. ब्रेथवेट की बल्लेबाजी शैली की तुलना महान खिलाड़ी शिवनारायण चंद्रपाल से होती है, जो धैर्य और साहस के प्रतीक थे. ब्रेथवेट ने अब तक 68 टेस्ट मैचों में 4113 रन बनाए हैं, जिसमें नौ शतक और 21 अर्धशतक शामिल रहे. 

इस साल मार्च में श्रीलंका के खिलाफ सीरीज से पहले ब्रेथवेट को वेस्टइंडीज का टेस्ट कप्तान नियुक्त किया गया था. श्रीलंका के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज में ब्रेथवेट ने 237 रन बनाए थे.

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