चाणक्य ने अपनी नीतियों से न केवल लोगों को बल्कि कई राजा महाराजाओं को भी प्रभावित किया. अपनी नीति से उन्होंने चंद्रगुप्त जैसे बालक को अखंड भारत का सम्राट बना डाला. आचार्य चाणक्य की नीतियां वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने अपने नीति ग्रंथ (चाणक्य नीति) में जीवन की परेशानियों से निकलने के कई उपाय बताए हैं. इसी में वो इंसान के 5 मांओं का जिक्र भी करते हैं. आइए जानते हैं चाणक्य के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति की उन 5 मांओं के बारे में...
राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्र पत्नी तथैव च।
पत्नी माता स्वमाता च पञ्चैता मातरः स्मृता।।
> चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से 5 प्रकार की मांओं की बात करते हैं. वो कहते हैं कि राजा या शासक की पत्नी माता के बराबर होती है. चाणक्य के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति को राजा की पत्नी को मां के रूप में मानना चाहिए.
> राजा के अलावा चाणक्य के मुताबिक गुरु की पत्नी भी मां के समान होती हैं. उनके साथ भी मां के जैसा ही आचरण करना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि गुरु पिता तुल्य होता है और उनकी पत्नी मां समान. दोनों को मां-पिता के बराबर मानने से पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति होती है.
> आचार्य चाणक्य ने मित्र की पत्नी को भी मां समान बताया है. वो कहते हैं कि मित्र की पत्नी को भी मां के समान दर्जा देना चाहिए. इससे सम्मान में वृद्धि होती है.
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> चाणक्य नीति के इस श्लोक के मुताबिक अपनी सास यानी पत्नी की मां को भई मां का दर्जा देना चाहिए. पत्नी की मां का सम्मान अपनी जन्म देने वाली मां से कम नहीं होना चाहिए.> अंत में आचार्य जन्म देने वाली मां को 5वीं मां बताते हैं. वो मां जो आपको जन्म देती है और जीवन में सफलता पूर्वक लक्ष्य को हासिल करने का मार्ग दिखलाती है.