पाकिस्तान अपने जन्म के बाद से ही भारत से जंग करता रहा है और हारता भी रहा है. पर इस हार को भी वो ग्लोरिफाई करता रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके मंत्रियों ने उसी तरह अपने नागरिकों को दिलासा दिलाया है जैसे 1971 और 1965 में करते रहे हैं. पाक सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे उनके बयानों में कई झूठ और विरोधाभास सामने आए हैं, जिन्हें भारतीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (I&B), प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) और अन्य तथ्य-जांच इकाइयों ने बेनकाब किया है. दरअसल भारत के सटीक मिसाइल हमलों में पाकिस्तान और PoK के नौ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया. जाहिर है कि शहबाज शरीफ को भी अपनी नाक और कुर्सी दोनों बचानी है. इसलिए उनकी सरकार ने जमकर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैला रही है. हालांकि शहबाज शरीफ और उनके मंत्रियों के झूठों के पोल खुल चुके हैं. पर सवाल यह उठता है कि आखिर झूठ की बुनियाद पर कब तक पाकिस्तान अपना अस्तित्व बचा सकेगा.
1. शहबाज शरीफ का दावा: पाकिस्तान ने पांच भारतीय जेट्स (तीन राफेल सहित) मार गिराए
शहबाज शरीफ ने 7 मई 2025 को पाकिस्तानी संसद में दावा किया कि पाक वायु सेना ने भारत के 80 विमानों के हमले को नाकाम कर दिया और पांच भारतीय जेट्स (जिनमें तीन राफेल शामिल थे) को मार गिराया. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय राफेल जेट्स के संचार तंत्र को जाम किया.
भारतीय रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों ने कहा है कि उनके सभी पायलट सुरक्षित हैं. भारतीय सेना का कहना है कि पाकिस्तानी क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र से स्टैंड ऑफ हथियारों (जैसे HAMMER बम, SCALP मिसाइल) और लॉयरिंग मुनिशन के जरिए किए गए. इसके लिए इंडिया ने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना ही आतंकवादियों का खात्मा किया है..इस बात को पाकिस्तान भी ऐक्सेप्ट करता है कि भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाक सीमा में एंट्री नहीं की. शहबाज ने भी दावा किया था कि भारतीय जेट्स पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में नहीं घुसे, फिर भी उन्हें "मार गिराने" की बात कही, जो तार्किक रूप से असंगत है.
PIB फैक्ट चेक ने पुष्टि की कि सोशल मीडिया पर प्रसारित तस्वीरें 2024 में राजस्थान में हुए एक MiG-29 दुर्घटना की थीं . शायद इसलिए ही पाकिस्तान का यह दावा पूरी तरह निराधार और दुष्प्रचार का हिस्सा लगता है. जिसे पाकिस्तान ने अपनी जनता को गुमराह करने और भारत की सैन्य सफलता को कमजोर दिखाने के लिए फैलाया.
2. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का दावा: पाकिस्तान ने तीन भारतीय सैनिकों को बंदी बनाया
ख्वाजा आसिफ ने एक लाइव प्रसारण में दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने तीन भारतीय सैनिकों को बंदी बनाया पर इस दावे का कोई सबूत नहीं दिया गया. बाद में ख्वाजा आसिफ ने खुद इस बयान को वापस लिया, यह स्वीकार करते हुए कि कोई भारतीय सैनिक बंदी नहीं बनाया गया .
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर में कोई जमीनी सैन्य कार्रवाई नहीं हुई, और हमले पूरी तरह मिसाइलों और स्टैंडऑफ हथियारों से किए गए, जिससे सैनिकों को बंदी बनाने का सवाल ही नहीं उठता. जाहिर है कि यह झूठ पाकिस्तान की ओर से अपनी जनता को यह दिखाने की कोशिश थी कि उन्होंने भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की, लेकिन तथ्यों की कमी और बाद में दावे को वापस लेने से उनकी विश्वसनीयता खत्म हुई है.
3. सूचना मंत्री अताउल्लाह तारार का दावा: भारतीय सेना ने चोरा पोस्ट पर सफेद झंडा लहराकर आत्मसमर्पण किया
अताउल्लाह तरार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो का समर्थन किया, जिसमें दावा किया गया कि भारतीय सेना ने एलओसी पर स्थिति चोरा पोस्ट पर सफेद झंडा लहराकर आत्मसमर्पण किया. PIB फैक्ट चेक ने इस दावे को पूरी तरह झूठा करार दिया. कोई ऐसी घटना नहीं हुई, और वीडियो असंबंधित और पुराना था.
4. पाकिस्तान ने श्रीनगर एयरबेस और राजौरी में भारतीय ब्रिगेड मुख्यालय को नष्ट करने का दावा
कई पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल्स और कुछ सरकारी-संरक्षित मीडिया ने दावा किया कि पाकिस्तानी वायु सेना ने श्रीनगर एयरबेस और राजौरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय को नष्ट कर दिया. PIB ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि श्रीनगर एयरबेस पर कोई हमला नहीं हुआ. वायरल वीडियो 2024 में खैबर पख्तूनख्वा (पाकिस्तान) में हुई सांप्रदायिक हिंसा का था, जिसे गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया.
5. भारत पर नागरिक ठिकानों और मस्जिदों को निशाना बनाने का आरोप
शहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता अहमद शरीफ चौधरी ने दावा किया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में नागरिक ठिकानों, मस्जिदों, और नीलम-झेलम जलविद्युत परियोजना को निशाना बनाया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए. भारत ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जैसे मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय और बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र.
मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट तस्वीरों ने बहावलपुर और मुरीदके में क्षतिग्रस्त आतंकवादी ठिकानों की पुष्टि की, लेकिन मस्जिदों या नागरिक क्षेत्रों को नुकसान की कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं मिली. पाकिस्तान ने भारत पर नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन सैटेलाइट इमेजरी और भारतीय ब्रीफिंग ने इन दावों को कमजोर किया.
पाकिस्तान पहले भी अपनी हार को जीत बताता रहा है
पाकिस्तान ने 1948, 1965, और 1971 की भारत-पाकिस्तान युद्धों में अपनी हार या सीमित सफलता को जीत के रूप में प्रचारित करने की कोशिश करता रहा है. यह प्रचार मुख्य रूप से आंतरिक जनता को प्रेरित करने, सैन्य मनोबल बढ़ाने, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूत दिखाने के लिए किया गया. हालांकि, ऐतिहासिक तथ्य और स्वतंत्र विश्लेषण इन दावों को खारिज करते हैं, क्योंकि इन युद्धों में पाकिस्तान को या तो हार का सामना करना पड़ा या कोई निर्णायक जीत हासिल नहीं हुई
1948 में पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने कश्मीर के बड़े हिस्से को आज़ाद कराया और स्थानीय लोगों की इच्छा के अनुरूप आज़ाद कश्मीर (पाक-अधिकृत कश्मीर) की स्थापना की. पाकिस्तानी इतिहास की किताबें और सरकारी बयान इस युद्ध को कश्मीरी स्वतंत्रता की जीत के रूप में पेश करते हैं, जिसमें कबायली और पाकिस्तानी सेना ने भारत को हराया. पाकिस्तान ने PoK पर कब्जे को जीत के रूप में प्रचारित किया, लेकिन वास्तव में यह युद्ध बिना किसी निर्णायक विजेता के समाप्त हुआ. भारत ने कश्मीर का अधिकांश हिस्सा अपने पास सुरक्षित रखने में सफल हुआ और पाकिस्तान अपने प्रारंभिक लक्ष्य पूरे कश्मीर को लेने में विफल रहा.
पाकिस्तान ने 1965 के युद्ध को अपनी सैन्य ताकत और कश्मीरी स्वतंत्रता के लिए जीत के रूप में चित्रित किया. पाकिस्तानी जनता को बताया गया कि उनकी सेना ने भारत के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया, खासकर ऑपरेशन जिब्राल्टर और ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम में. पाकिस्तान दावा करता है कि चाविंडा (सियालकोट सेक्टर) में उसने भारत के बख्तरबंद डिवीजन को नष्ट कर दिया, जिसे टैंकों की सबसे बड़ी लड़ाई के रूप में प्रचारित किया जाता है. मेजर अज़ीज़ भट्टी को इसके लिए निशान-ए-हैदर दिया गया.
पाकिस्तानी पाठ्यपुस्तकों में 1965 के युद्ध को भारत के आक्रमण को विफल करने की कहानी के रूप में पढ़ाया जाता है.जबकि युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान द्वारा ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत सशस्त्र घुसपैठियों को कश्मीर में भेजने से हुई, जिसका मकसद विद्रोह भड़काना था. यह योजना विफल रही.
युद्ध 22 सितंबर 1965 को UN-मध्यस्थता युद्धविराम के साथ समाप्त हुआ. ताशकंद समझौते में दोनों पक्षों ने अपने-अपने कब्जे वाले क्षेत्र वापस किए, जिससे यथास्थिति बहाल हुई. यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अपनी रणनीतिक जीत के दावे को सही ठहराने में विफल रहा.
पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध को भारत के आक्रमण के खिलाफ अपनी सेना की बहादुरी की कहानी के रूप में प्रस्तुत किया. हालांकि यह युद्ध पाकिस्तान की सबसे बड़ी सैन्य हार थी, फिर भी कुछ क्षेत्रों में स्थानीय जीत के दावे किए गए. पाकिस्तानी प्रचार में इस युद्ध को भारत और सोवियत संघ की साजिश के रूप में चित्रित किया जाता है. जबकि 1971 का युद्ध पाकिस्तान की सबसे बड़ी सैन्य और कूटनीतिक हार थी. भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग करके एक नया स्वतंत्र देश बांग्लादेश बनाने में सफल हुआ.
झूठ की बुनियाद पर पाकिस्तान कब तक टिका रहेगा?
पाकिस्तानअपने स्थापना के बाद से ही झूठ और दुष्प्रचार के बल पर अपना अस्तित्व बचा रहा है. पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसमें उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ता कर्ज, और IMF बेलआउट पर निर्भरता शामिल है. ऑपरेशन सिंदूर और भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के कदम ने आर्थिक दबाव को और बढ़ा दिया है.आर्थिक कमजोरी सरकार की विश्वसनीयता को और कम कर देती है. क्योंकि जनता को बुनियादी सुविधाएं सरकार उपलब्ध नहीं करा पाती है.
झूठे दावों जैसे ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में भारतीय जेट्स को मार गिराए जाने का पर्दाफाश होने से जनता का विश्वास और कम होता है, जिससे सरकार की वैधता पर सवाल उठते हैं. पाकिस्तान की सेना और ISI पर लंबे समय से आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का आरोप है, जिसे ऑपरेशन सिंदूर ने फिर से उजागर किया है.
लंबे समय तक बार-बार झूठ बोलने से जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भरोसा खत्म होता है, जिससे सरकार की विश्वसनीयता और शासन क्षमता कमजोर होती है.