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एर्दोगन हों या ट्रंप, मेलोनी पर कमेंट करने से नहीं चूकते, क्यों...सिर्फ इसल‍िए कि वो 'औरत' हैं?

आप मेलोनी जैसी बेबाक और आत्मव‍िश्वासी नेता के साथ वैश्व‍िक मंच पर हो रहे व्यवहार से समझ सकते हैं कि दुनिया भर में राजनीति में औरतें कहां पर हैं. मेलोनी पर हुए मीड‍िया कवरेज भी एक बार देख‍ डाल‍िए. तब आपको पता चलेगा उनकी मजबूत पॉल‍िसी और उनके व‍िवेकपूर्ण फैसलों पर कितनी हेडलाइन बनी हैं. फिर गौर कीजिए कि उनके लुक्स, नेचर, ड्रेसेज और उनकी आवाज के टोन पर इतनी खबरें क्यों बनती हैं. सिर्फ इसलि‍ए कि नेता हैं या इसल‍िए कि वो मह‍िला नेता हैं?

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मेलोनी पर कमेंट कर रहे ग्लोबल लीडर्स क्या साबित कर रहे
मेलोनी पर कमेंट कर रहे ग्लोबल लीडर्स क्या साबित कर रहे

इंस्टाग्राम पर इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का मजाक उड़ाती रील अक्सर द‍िख जाती है. यूरोप की सबसे ताकतवर लीडर में शुमार जॉर्ज‍िया मेलोनी को भारत में ट्रोल करने वाले उनके बारे में बहुत कुछ जानते भी नहीं. लेकिन इन वर्ल्ड लीडर्स की सोच भी बहुत अलग नहीं है. ये सोच मिश्र में हो रहे गाजा शांति सम्मेलन में देखने को मिली. एक ऐसे मंच पर जहां दुन‍िया भर की नजरें गड़ी हैं, पर यहां भी जॉर्ज‍िया मेलोनी को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन और यूएस प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप जैसे वर्ल्ड लीडर्स से सम्मेलन के टॉप‍िक से अलग कुछ 'कमेंट' सुनने पड़े.  

सवाल ये है कि क्या वर्ल्ड लीडर्स भी आम लोगों की तरह हैं. क्या वो भी खुद को कमेंट करने से रोक नहीं सकते. ऐसा क्यों होता है, इसल‍िए न कि वो औरत हैं. और, औरत को उसकी काब‍िल‍ियत से ज्यादा उसकी शारीर‍िक बनावट, उसकी आदतें और उसके बोलने-चलने आदि के अंदाज से जज किया जाता है.  उन पर कमेंट करने वर्ल्ड लीडर्स जो कम्युनिकेशन कोचिंग लेते हैं, स्पीच एनालिस्ट्स और बिहेवियरल कोच से सीखते हैं. एक-एक शब्द नापतौल कर बोलने वाले ये लोग किसी मह‍िला नेता के लिए हमेशा छ‍िछली बातें क्यों कर देते हैं.

आप खूबसूरत हैं...स‍िगरेट छुड़वाऊंगा...इन कमेंट्स ने छेड़ी बहस? 

गाजा सम्मेलन में ट्रंप भाषण दे रहे थे. बीच भाषण उन्होंने मेलोनी की तरफ रुख किया और कहा कि आप खूबसूरत हैं, मुझे ये कहने की इजाजत नहीं है क्योंकि अगर आप अमेरिका में किसी महिला के बारे में खूबसूरत शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो आपका राजनीतिक करियर खत्म समझो, लेकिन मैं चांस लूंगा. वो यहीं नहीं रुके आगे फिर बोले कि आपको खूबसूरत कहलाने में कोई आपत्ति नहीं है, है ना? क्योंकि आप खूबसूरत हैं. 

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इसी मंच से तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन भी बोलने से नहीं चूके. उन्होंने मेलोनी से मजाकिया लहजे में कह डाला कि आप बहुत अच्छी लग रही हैं, लेकिन मुझे आपकी स्मोकिंग छोड़वानी होगी. उनके पास ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी खड़े थे और एर्दोगन की बात सुनकर जोर से हंसते हुए कहा, 'यह असंभव है.'

इन दोनों मौकों पर मेलोनी के पास मुस्कराने के स‍िवाय क्या रास्ता रहा होगा, वही उन्होंने किया भी. औरतें किसी भी ओहदे में हों, ऐसा देखा गया है कि ऐसे मौकों पर उनकी व‍िरोध करने की हिम्मत ही नहीं पड़ती या कह‍िए वो ऐसी बातों की आदी हो जाती हैं. उनके लिए ये नॉर्मल बात हो जाती है. अब सोचकर देख‍िए, ये नेता क्या किकिसी 'मर्द' लीडर को ऐसे कमेंट पास करते. क्या ट्रंप उसे हैंडसम कहते और साथ में ये भी क‍ि कर‍ियर खत्म हो जाता है ऐसा कहने पर. या क्या एर्दोगन क‍िसी नेता से कहते कि आप हैंडसम हैं पर फलां चीज छोड़ दीजिए. कह भी सकते हैं, लेकिन आज तक ऐसे पल कहीं रिपोर्ट नहीं हुए. 

महिला लीड करे तो ‘गाइड’ बन जाओ

एक बुद्ध‍िमान ग्लोबर लीडर कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो तो भी आप उसके गाइड बनने से नहीं चूकते. उस पर कमेंट करने में आपको सेंस ऑफ ह्यूमर नजर आता है. माफ कीजिए इन हरकतों पर सिर्फ वही हंस सकते हैं, जिन्हें मह‍िलाओं पर कमेंट पास करने में मजा आता है. दुनिया भर में सत्ता की कुर्सी पर बैठी महिलाएं एक ही चीज से जूझ रही हैं, वो है बिन मांगी सलाह. ये सलाह उनके काम, फैसलों या नेतृत्व के बारे में कम और उनके व्यक्तित्व के बारे में ज्यादा होती है. 

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थोड़ा और मुस्कुराइए...इतनी स्ट्रॉन्ग दिखेंगी तो लोग डरेंगे...थोड़ी फेमिनिन बनिए...सिगरेट मत पीजिए...ये सब क्या है. ये सब सलाहें नहीं हैं. ये संकेत होते हैं कि आप जैसी हैं, दुनिया को ऐसी स्ट्रांग, स्ट्रेट फारवर्ड और फैसले लेने वाली औरत बर्दाश्त नहीं है. ये बात वो सीधे नहीं कह सकते लेकिन अपने कमेंट से वो कुंठा जाह‍िर तो कर ही देते हैं. 

राजनीति में सेक्सिज्म की परतें बहुत महीन हैं... 

राजनीति में लैंगिक भेदभाव एक ओपन स्टेटमेंट की तरह नहीं द‍िखता. ये कभी शालीन लहजे में लिपटाकर दिया जाता है तो कभी कॉम्पलीमेंट के रूप में. लेकिन असल में उसका असर वही होता है जो किसी डिसरेस्पेक्टफुल रिमार्क का होता है. महिला नेता के काम से ध्यान हटाने में उनकी मर्दवादी सोच को राहत मिलती है.

वो बड़ी चालाकी से सबका ध्यान उसके काम से हटाकर उसके रूप, व्यवहार या पर्सनल च्वाइस की तरफ कर देते हैं. ये विडंबना ही तो है कि औरत जितनी ऊंची कुर्सी पर बैठेगी उतना ही ज्यादा जज की जाएगी. उसे सेक्स‍िस्ट सोच से लेकर मह‍िला अपराध का भी सामना करना पड़ सकता है. जैसा कि मेलोनी के साथ हाल ही में हुआ. इटली की पोर्न साइट पर उनकी और अन्य महिलाओं की फोटोज बिना अनुमति के पोस्ट की गईं. उन्हें सेक्सुअली मैनिपुलेट किया गया. उनके नाम के साथ वल्गर कैप्शन जोड़े गए. उन्होंने इस पर कड़ी प्रतिक्र‍िया दी लेकिन हुआ क्या, कोई बदला क्या. इसलएि औरतें क‍िसी भी पद पर पहुंच जाएं, उनके व‍िरोध की एक हद अपने आप तय हो जाती है. 

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समाज की डुअल सोच का बदलना जरूरी

पुरुष नेता गलती करें तो वो स्ट्रेटजी मह‍िला नेता करे तो इमोशन रिएक्शन, पुरुष अगर निर्णायक हो तो स्ट्रांग लीडर महिला अगर स्ट्रांग हो तो Rude कही जाती है. अब एक इटली के अखबार को ही ले लीजिए, इस अखबार ने मेलोनी को 'मैन ऑफ द इयर' कहा था. उनका तर्क था कि इतनी स्ट्रॉन्ग लीडरशिप है तो मर्दों जैसी है.  समझ आया आपको,कैसे लीडरश‍िप, बहादुरी, बुद्ध‍िमानी आदि का पैमाना आज भी मर्दों से जुड़ा है.

आपको सुभद्रा कुमारी चौहान की वो कव‍िता याद है न, 'खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी'. जंग में अपनी वीरता द‍िखाने वाली स्ट्रांग औरत की तारीफ 'मर्दानी' बताकर की गई. सुभद्रा जी ने कई साल पहले ये कव‍िता ल‍िखी थी, तब शायद उन्हें यही व‍िशेषण सही लगा हो. लेकिन आज इतने साल बाद भी बहुत कुछ बदला नहीं दिख रहा. नेताओं से लेकर मीड‍िया या सोशल मीड‍िया तक महिलाओं के लिए व‍िशेषण, उनके व्यक्त‍ित्व के अनुरूप न होकर मर्दों की सोच पर ट‍िके नजर आते हैं.

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