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MP सरकार हवाई किराए में रोजाना ₹21 लाख खर्च रही, एक घंटे का रेट ₹5 लाख से ज्यादा

MP का सरकारी विमान मई 2021 में क्रैश होने के बाद से ग्वालियर एयरबेस पर खड़ा है. न ही उसकी मरम्मत हुई है और न ही नया विमान खरीदा गया है. सरकार के पास न कोई चालू फिक्स्ड विंग विमान है और न हेलीकॉप्टर्स का पर्याप्त बेड़ा है. सिर्फ एक सरकारी हेलीकॉप्टर चालू हालत में है.

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MP सरकार पर हवाई खर्च 50% तक बढ़ा.(Photo:Screengrab)
MP सरकार पर हवाई खर्च 50% तक बढ़ा.(Photo:Screengrab)

मध्य प्रदेश सरकार में हवाई यात्रा का खर्च लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है. विधानसभा में पेश ताजा आंकड़ों के अनुसार मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में सरकार किराए के विमान और हेलीकॉप्टरों पर प्रतिदिन करीब 21 लाख रुपए खर्च कर रही है. यह जानकारी कांग्रेस विधायकों प्रताप ग्रेवाल और पंकज उपाध्याय के सवालों के जवाब में सामने आई है. विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पता चला है कि हवाई यात्रा का खर्च भी 50% से अधिक बढ़ चुका है.

विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2021 से नवंबर 2025 तक विमान किराए पर 290 करोड़ रुपए खर्च हुए. साल 2019 में सालाना किराया 1.63 करोड़ रुपए था, जो 2025 में बढ़कर नवंबर तक 90.07 करोड़ रुपए हो गया. 

जनवरी 2024 से नवंबर 2025 तक विमान-हेलीकॉप्टर किराए में कुल 143 करोड़ रुपए खर्च हुए, यानी प्रतिदिन औसत 21 लाख रुपए. इसके पहले जनवरी 2021 से दिसंबर 2023 तक तीन सालों में कुल 147 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, यानी प्रतिदिन औसत 14 लाख रुपए. 

इस तरह CM मोहन यादव के कार्यकाल में हवाई किराए में 50% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है. सरकार ने बताया कि 2023 में किराए की दरें 20-30% बढ़ाई गईं, जिसका कारण कोविड के बाद चार्टर्ड विमानों की मांग, ईंधन-मेंटेनेंस की बढ़ी लागत और लोकसभा चुनाव आदि बताया गया. 

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ग्वालियर एयरपोर्ट पर क्रैश पड़ा है सरकारी विमान 

मौजूदा समय में राज्य सरकार के पास केवल एक उड़ान योग्य हेलीकॉप्टर है. सरकारी फिक्स्ड विंग विमान मई 2021 में क्रैश होने के बाद से ग्वालियर एयरपोर्ट पर खराब पड़ा है. न तो उसकी मरम्मत हुई और न ही नया विमान खरीदा गया. इसलिए प्राइवेट कंपनियों से विमान किराए पर लेने पड़ रहे हैं, जिनका प्रतिदिन का खर्च लगभग 21 लाख रुपए है.

पुराने विमानों की मरम्मत नहीं, इसलिए बढ़ा खर्च: कांग्रेस 

कांग्रेस का आरोप है कि अगर सरकार अपने बेड़े को मजबूत करती या पुराने विमानों की मरम्मत कराती तो इतना किराया खर्च न करना पड़ता और यह राशि विकास कार्यों में लगाई जा सकती थी. ये आंकड़े सरकार ने खुद विधानसभा में पेश किए हैं, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ाने वाले हैं.

5 लाख रुपए प्रति घंटे की दर से विमान: ग्रेवाल 

MP के विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि 2023 में कोविड के बहाने से किराया बढ़ाना कितना हास्यास्पद है. प्रदेश की आर्थिक स्थिति कर्ज प्रधान हो गई है, ऐसे में 5 लाख रुपए प्रति घंटे की दर से विमान किराए पर लेकर हर साल सैकड़ों करोड़ हवा में उड़ाए जा रहे हैं. 

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