नोएडा सेक्टर-50 के पास 7.5 करोड़ रुपये की लागत से कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड का निर्माण किया जा रहा है. नोएडा अथॉरिटी के प्रोजेक्ट के तहत अभी 500 मीटर के स्ट्रेच में विकसित किया गया है, जिसे 3 किमी तक बढ़ाया जाएगा. इससे कोंडली ड्रेन में प्रदूषण कम होगा.
दरअसल, पानी को साफ करने के लिए बायोलॉजिकल कंट्रोल के इस्तेमाल की तकनीक वेटलैंड कहलाती है. आज जब कि नदी, तालाब और सागर का जल दूषित होता जा रहा है. प्रत्येक घरों, फैक्ट्रियों व अन्य दूसरे क्षेत्रों से गंदा पानी बहकर नदियों में मिलकर प्रदूषण फैला रहा है, ऐसे में इस तकनीक की उपयोगिता और महत्वपूर्ण हो जाती है. नोएडा में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यह माना जा सकता है कि यह तकनीक बेहद कारगर साबित होगी.
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ऋतु महेश्वरी ने बताया कि शहरों का जल संकट समाप्त करने के लिए यह तकनीक सबसे मुफीद और सस्ती मानी गई है. उन्होंने बताया कि इस तस्कनिक मे हाइब्रीड घास के जरिए वेटलैंड प्रोजेक्ट लगाए जा सकते हैं. इससे खतरनाक जहरीले पदार्थों से दूषित हो चुके पानी को साफ किया जाता है. प्राकृतिक वेटलैंड प्रकृति को लगातार फायदा पहुंचाते हैं.
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय जल संसद में वेटलैंड तकनीक ने ध्यान खींचा था. प्राचीन होते हुए भी सबसे बेहतर और सस्ती तकनीक मानी जाती है. इसके अंतर्गत घरों से निकलने वाले गंदे पानी को साफ किया जाता है ताकि नहाने-धोने, सिंचाई के लिए उसका पुनः उपयोग किया जा सके.