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'धक्केशाही बर्दाश्त नहीं, अदालत जाएंगे', पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट भंग करने को लेकर केंद्र पर बरसे CM भगवंत मान

केंद्र द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय की 59 साल पुरानी निर्वाचित सीनेट और सिंडिकेट को भंग करने और पुनर्गठन की औपचारिक अधिसूचना जारी करने के एक दिन बाद रविवार को पूरे पंजाब में इसका तीखा विरोध हुआ.

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मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट को भंग करने के केंद्र के फैसले की कड़ी निंदा की. (Photo: X/@BhagwantMann)
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट को भंग करने के केंद्र के फैसले की कड़ी निंदा की. (Photo: X/@BhagwantMann)

पंजाब विश्वविद्यालय (PU) सीनेट और सिंडिकेट के पुनर्गठन और शासी निकायों में चुनावों को समाप्त करने के लिए केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 'पूरी तरह से असंवैधानिक' करार दिया है. उन्होंने रविवार को कहा कि राज्य सरकार केंद्र को 'इस अत्याचार' की अनुमति नहीं देगी और फैसले को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.

मुख्यमंत्री मान ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'पंजाब विश्वविद्यालय हमारी विरासत है, हमारी धरोहर है और इसे बचाए रखने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे. जरूरत पड़ी तो हम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे. हम कानूनी सलाह ले रहे हैं. हमारे सभी दस्तावेज तैयार हैं और हम इस अत्याचार और धक्केशाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम हर स्तर पर अपनी आवाज उठाएंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पंजाब विश्वविद्यालय, जिसकी शुरुआत लाहौर में हुई और चंडीगढ़ में स्थापित होने से पहले कुछ समय के लिए होशियारपुर में स्थानांतरित हुआ, पंजाब की विरासत और परम्परा का हिस्सा बना रहे. इस तरह की असंवैधानिक अधिसूचना हमारे विश्वविद्यालय की सीनेट या प्रबंधन को छीन नहीं सकती.'

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मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, 'भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा जारी पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट को भंग करने की अधिसूचना पूरी तरह से असंवैधानिक है. मेरे पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार, यह कार्रवाई पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966, विशेष रूप से उप-धारा 3, और पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947, जिसके तहत विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी, उसके विपरीत है. केंद्र सरकार विधानसभा द्वारा पारित किसी कानून को अधिसूचना के माध्यम से रद्द नहीं कर सकती; केवल विधानसभा ही इसमें संशोधन कर सकती है, या इसे देश की संसद में ले जाना होगा. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है- पंजाब विधानसभा द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है, न ही इसे संसद में ले जाया गया है. यह अधिसूचना जारी करके भाजपा ने अपना पंजाब विरोधी रुख दिखाया है.'

उन्होंने आगे कहा, 'इससे पहले, उन्होंने दो बार पंजाब और हरियाणा के राज्यपालों, हरियाणा के मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित करने का प्रयास किया था. उनकी मांग थी कि पंचकूला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और अंबाला के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय के अंतर्गत लाया जाए, जबकि हरियाणा पहले ही कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना करके अलग हो चुका था. मैंने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि हमारे 170 से ज्यादा कॉलेज पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं. उन्होंने इन कॉलेजों के सदस्यों को भेजकर सीनेट में घुसपैठ करने की कोशिश की, लेकिन हमें इसकी जानकारी पहले से थी और हमने इसे अस्वीकार कर दिया था. अब उन्होंने दूसरा तरीका निकाला है.'

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मान ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने पंजाब दिवस (1 नवंबर) के मौके पर पंजाबियों को इस तरह का तोहफा दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैंने हमेशा कहा है कि वे (भाजपा) पंजाब के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते, और अपने दिलों में राज्य के प्रति नफरत पालते हैं.' भोलाथ से कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने केंद्र सरकार के इस कदम को 'प्रतिष्ठित संस्थान पर नियंत्रण पाने, उसकी स्वतंत्र प्रकृति को छीनने और दिल्ली के नौकरशाही आकाओं को बागडोर सौंपने की एक सोची-समझी साजिश' करार दिया. उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना 'न केवल पंजाब के शिक्षकों, पूर्व छात्रों और निर्वाचित विधायकों की आवाज को कमजोर करती है, बल्कि शैक्षणिक निर्णयों में वैचारिक हस्तक्षेप का रास्ता भी खोलती है.'

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