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'आपकी मुंसिफगीरी से सदन नहीं चलेगा, मेरे भाषण का...', लोकसभा में राहुल गांधी पर क्यों भड़के अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव सुधार पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि चुनाव के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है. यह व्यवस्था जब बनी, तब हम थे ही नहीं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और अनुच्छेद 324 में चुनाव आयुक्त को विशेष अधिकार दिए गए.

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लोकसभा में राहुल गांधी पर क्यों भड़के अमित शाह? (Photo: Screengrab)
लोकसभा में राहुल गांधी पर क्यों भड़के अमित शाह? (Photo: Screengrab)

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बुधवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा का जवाब दे रहे हैं. अपने भाषण की शुरुआत करते हुए शाह ने कहा कि चुनाव सुधार पर चर्चा से बीजेपी के लोग भागते नहीं है. इस पर सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपनी सीट से खड़े हुए और शाह से कहा कि मैं आपको चैलेंज करता हूं. 

राहुल गांधी ने अमित शाह से कहा कि मैं आपको चैलेंज करता हूं कि आप मेरी वोट चोरी की तीनों प्रेस कॉन्फ्रेंस पर चर्चा करें. इस पर शाह ने कहा कि मैं 30 साल से विधानसभा से और लोकसभा से चुनकर आ रहा हूं. मुझे संसदीय प्रणाली का लंबा अनुभव है. विपक्ष के नेता महोदय कहते हैं कि पहले मेरी बात का जवाब आप दीजिए. मैं सुनाना चाहता हूं कि आपके हिसाब से संसद नहीं चलेगी. मेरे बोलने का क्रम मैं तय मैं करूंगा, इस तरीके से संसद नहीं चलेगी. 

शाह ने कहा कि उन्हें धैर्य रखना चाहिए मेरा जवाब सुनने का. एक-एक बात का जवाब दिया जाएगा, पर मेरे भाषण का क्रम वो तय नहीं कर सकते. ये मैं तय करूंगा कि कैसे जवाब देना है. मैं  सभी जवाब दूंगा. मेरे भाषण का क्रम मैं तय करूंगा, नेता प्रतिपक्ष नहीं. मैं उनके उकसावे में नहीं आऊंगा, मैं अपने भाषण का क्रम मैं तय करूंगा. सोनिया जी पर जवाब इनको अदालत में देना है यहां क्यों दे रहे हैं.

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इस पर राहुल गांधी ने कहा कि ये डरा हुआ, घबराया हुआ रिस्पॉन्स है. सच्चा रिस्पॉन्स नहीं है. अमित शाह ने कहा कि मैं उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ देख रहा हूं कि क्या बोलूंगा. उनके उकसावे में नहीं आऊंगा, अपने क्रम से बोलूंगा.

इस पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सोनिया गांधी ने उस चुनाव में वोट तक नहीं दिया था. भ्रामक बयान दिए जा रहे हैं. मैं इसे चुनौती देता हूं कि क्या आप इसे सिद्ध कर सकते हैं. 

अमित शाह ने कहा कि हम सबका साझा दायित्व है. हम लोगों का पौना जिंदगी ही विपक्ष में चला गया. हमने कभी चुनाव आयोग पर आरोप नही लगाए. एक नया पैटर्न फैला, ममता जी ने आयोग पर आरोप लगाए , स्टालिन जी ने लगाए, राहुल गांधी, खड़गे जी ने, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन फिर भगवंत मान जी ने लगाए. पहले ये परंपरा सिर्फ कांग्रेस में थी और अब पूरे इंडी अलयांस में आ गई है. अगर मतदाता सूची करप्ट है तो आपने शपथ क्यों ली. 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हम बीजेपी वाले, एनडीए वाले चर्चा से कभी नहीं भागते. हम सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं. निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है. मतदाता सूची बनाने और सुधार करने की जिम्मेदारी भी चुनाव आयोग की है. अब 325 जो अनुच्छेद है किसी भी पात्र मतदाता को सूची से बाहर नहीं रखा जा सकता.  मतदाता होने की शर्ते 326 में निहित हैं.  पहली शर्त है मतदाता भारत का नागरिक होनी चाहिए. दूसरा 18 साल से ऊपर उम्र होनी चाहिए. ये सभी पात्रता चुनाव आयोग को देखनी है , कानून बनाने की सिफारिश करने की शक्ति चुनाव आयोग को दी है.  ये कह रहे थे कि इनको SIR का अधिकार नहीं है, संविधान पूर्ण अधिकार देता है.

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