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SIR से वंदे मातरम् तक... हंगामेदार होगा शीतकालीन सत्र, सरकार ने बनाई रणनीति

एक दिसंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में एसआईआर से लेकर वंदे मातरम् तक, हंगामे के आसार हैं. सरकार ने विपक्ष के तेवर देखते हुए आगामी सत्र के लिए अपनी रणनीति बना ली है.

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बेरोजगारी और दिल्ली प्रदूषण पर घेरने की तैयारी में विपक्ष (File Photo: ITG)
बेरोजगारी और दिल्ली प्रदूषण पर घेरने की तैयारी में विपक्ष (File Photo: ITG)

संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू होने जा रहा है और इससे पहले सियासी तापमान बढ़ गया है. तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसी पार्टियां चुनाव आयोग के मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर तल्ख रुख दिखा रही हैं. इन दलों ने एसआईआर का मुद्दा संसद में उठाने, तीखे विरोध की भी तैयारी कर ली है.

संसद का यह शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक ही चलेगा. इस छोटे सत्र के दौरान सरकार 10 महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में है. इन विधेयकों में परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा सुधार, कॉर्पोरेट कानून और प्रतिभूति बाजार से जुड़े विधेयक शामिल हैं. विपक्ष के आक्रामक रुख को देखते हुए माना जा रहा है कि ये बिल भी टकराव का केंद्र बन सकते हैं. सत्ता पक्ष ने आगामी सत्र के लिए अपनी रणनीति को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर हुई बैठक में अंतिम रूप भी दे दिया है.

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की जानकारी दी है. सरकार चाहती है कि सदन में वंदे मातरम् के 150 वर्ष और उसके संपूर्ण पाठ पर विशेष चर्चा हो. पीएम मोदी पहले ही कह चुके हैं कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम् की कुछ पंक्तियां हटाईं, जिसने विभाजन की नींव रखी. सरकार का कहना है कि SIR चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है, इसलिए इस पर संसद में चर्चा संभव नहीं है. मॉनसून सत्र में भी सरकार ने यही रुख अपनाया था, जब बिहार से जुड़े SIR विवाद पर विपक्ष ने भारी हंगामा किया था.

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शीतकालीन सत्र के एजेंडे में ये बिल

-परमाणु ऊर्जा में संशोधन
-भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का गठन
-चंडीगढ़ पर संविधान संशोधन बिल

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एसआईआर पर क्या है सरकार की राय

सरकार ने साफ किया है कि एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पहले ही आ चुके हैं. चुनाव आयोग उन्हीं के आधार पर कदम उठा रहा है. सरकार का मत यह भी है कि बिहार में एनडीए को मिला प्रचंड जनादेश यह बताता है कि जनता ने इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं माना. सरकार का कहना है कि यदि व्यापक चुनाव सुधार पर चर्चा चाहिए, तो वह पूरी तरह तैयार है. लेकिन चुनाव आयोग की प्रक्रियाओं और कार्यों को लेकर संसद में बहस संभव नहीं है. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस SIR को केंद्र सरकार की साजिश बता रही है.

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दिल्ली प्रदूषण पर घेरने की तैयारी में विपक्ष

टीएमसी के नेता एसआईआर के मुद्दे पर चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात करने भी जा रहे हैं. पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु, इन दोनों ही राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और दोनों ही राज्यों की सत्ताधारी पार्टियां टीएमसी और डीएमके वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और बूथ में इजाफे के आरोप लगा रही हैं.यूपी में सपा भी एसआईआर की कथित खामियों को बड़ा मुद्दा बना रही है. विपक्ष बेरोजगारी और दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर भी सरकार पर हमलावर है.

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