दिल्ली हाईकोर्ट ने टीएमसी सांसद साकेत गोखले को मानहानि मामले में लक्ष्मी पुरी को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. साथ ही अदालत ने उन्हें (साकेत गोखले) एक अंग्रेजी अखबार और अपने ट्विटर हैंडल पर माफी मांगने को भी कहा है जो ट्विटर पर अगले छह महीने तक रहनी चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने साल 2021 में लक्ष्मी पुरी द्वारा टीएमसी सांसद साकेत गोखेल के खिलाफ दाखिल मानहानि के मुकदमे पर आज फैसला सुनाया है. टीएमसी नेता ने अपने एक्स (ट्वीट) पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पत्नी लक्ष्मी पुरी द्वारा स्विट्जरलैंड में खरीदी गई एक संपत्ति का जिक्र किया था. उनकी और उनके पति की संपत्ति को लेकर सवाल उठाए थे.
'भाजपा नेता को बनाया निशाना'
न्यायाधीश ने कहा कि वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा करने वाले "घुमावदार आरोप" वास्तव में भाजपा नेता हरदीप सिंह पुरी को निशाना बना रहे थे और बिना वेरिफिकेशन किए चीजों को प्रकाशित किया जो कि उनका एक गैर जिम्मेदाराना कदम था.
अदालत ने कहा कि पूर्व राजनयिक द्वारा दिखाए गए डॉक्यूमेंटों में स्पष्ट रूप से अपने फंड के सोर्स और अपार्टमेंट खरीदने के लिए इस्तेमाल की गए बारे में जानकारी दी है. जिसमें एक बैंकिंग संस्थान से लोन और उनकी बेटी से लिया गया रुपये शामिल थे. जबकि ऑफिंग ट्वीट्स द्वारा उनकी छवि को नुकसान हुआ है. बिना शर्त माफी इस के लिए बहुत कम है.
अपने 62 पन्नों के फैसले में अदालत ने यह भी कहा कि टीएमसी नेता ने अपने वकील के द्वारा पेश होकर लिखित बयान दाखिल किया, लेकिन बाद में उन्होंने इस मामले में पेश नहीं होने या प्रतिनिधित्व नहीं करने का फैसला किया.जैसे कि उन्हें इस मामले के फैसले की परवाह नहीं थी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अपमानजनक ट्वीट्स अपने आप में मानहानि के कारण हैं.
इस मामले में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पत्नी लक्ष्मी पुरी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने अपनी याचिका में टीएमसी नेता पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन पर और उनके पति हरदीप सिंह पुरी के खिलाफ झूठे और अपमानजनक आरोप लगा कर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया. और कहा कि उन्होंने जिनेवा में काले धन से एक अपार्टमेंट खरीदा है.
मांगा था 5 करोड़ का हर्जाना
लॉ फर्म करंजा वाला एंड कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हुए लक्ष्मी पुरी ने टीएमसी नेता गोखले से 5 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा था, जिसे पीएम केयर फंड में जमा किया जाना था.