जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार नवीन यादव ने जीत दर्ज कर ली है. यादव को 98,988 वोट मिले, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीआरएस मगंती सुनीता को 74,259 वोट मिले, जबकि बीजेपी प्रत्याशी लंकाला दीपक रेड्डी की जमानत जब्त हो गई. इस जीत के साथ 119 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस का कुल आंकड़ा बढ़कर 66 हो गया है.
जुबली हिल्स उपचुनाव में मिली ये जीत मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के लिए बड़ी सफलता है, जिन्होंने इस चुनाव को पार्टी के लिए एक प्रतिष्ठित लड़ाई बना दिया. ये पिछले दो सालों में पार्टी द्वारा जीता गया दूसरा उपचुनाव है. कांग्रेस उम्मीदवार वी नवीन यादव को 98,988 वोट मिले, जबकि उनकी निकटतम BRS प्रतिद्वंद्वी मगंती सुनीता को 74,259 वोट मिले. भाजपा के उम्मीदवार लंकाला दीपक रेड्डी 17,061 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे और उनकी जमानत जब्त हो गई. चुनाव के दौरान रेवंत रेड्डी ने खुद भी गली-नुक्कड़ सभाएं कीं और लोगों से पार्टी को वोट देने का आग्रह किया.
मुस्लिम वोटरों को लुभाने की रणनीति
कांग्रेस ने मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास किया. यह क्षेत्र करीब चार लाख मतदाताओं में 25 फीसदी मुस्लिम वोटरों के कारण अहम है. कांग्रेस ने इसके लिए पूर्व क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को मंत्री बनाया और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को नवीन यादव का समर्थन करने के लिए राजी किया. तेलंगाना पीसीसी अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ ने विश्वास व्यक्त किया कि जब भी ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव होंगे, ये नतीजा दोहराया जाएगा.
गौड़ ने कहा कि लोग कांग्रेस के साथ हैं और पार्टी अगले विधानसभा चुनावों में 100 सीटें जीतेगी.
BRS को बड़ा झटका
BRS के लिए ये हार पार्टी कार्यकर्ताओं को और हतोत्साहित कर सकती है. यह के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली पार्टी के लिए शहर में लगातार दूसरी हार है, इससे पहले उसने जून 2024 में सिकंदराबाद कैंटोनमेंट सीट भी खो दी थी. हालांकि BRS के लिए यह राहत की बात है कि भले ही उसने जीती हुई सीट खो दी, लेकिन हार का अंतर बहुत बड़ा नहीं है. इस झटके से BRS के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव की क्षमता पर सवाल उठ सकता है, क्योंकि उनके पिता, केसीआर ने इस उपचुनाव के दौरान प्रचार नहीं किया था.
कर्म का फल मिलता है
दिलचस्प बात ये है कि चुनावी नतीजे पर प्रतिक्रिया देते हुए केसीआर की बेटी कविता ने एक पोस्ट में कहा, 'कर्म का फल मिलता है (Karma hits back).'
दूसरी ओर भाजपा के लिए ये नतीजा सीटों के मामले में न तो नुकसान है और न ही फायदा, लेकिन वोटों के लिहाज से देखा जाए तो पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले खराब प्रदर्शन किया है. वोटरों ने स्पष्ट रूप से कांग्रेस की योजनाओं और विकास पर भरोसा जताया है.