कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार राज्यसभा जा रही हैं. सोनिया ने बुधवार (14 फरवरी) को राज्यसभा के लिए राजस्थान से नामांकन दाखिल किया था. इससे पहले उन्होंने 2019 के आम चुनाव में ही कह दिया था कि यह उनका आखिरी लोकसभा चुनाव होगा. इसके बाद सोनिया ने रायबरेली की जनता को एक भावुक चिट्ठी भी लिखी जिसमें उन्होंने समर्थन के लिए जनता को धन्यवाद दिया और यह भी संकेत दिया कि रायबरेली से जुड़ाव उनका खत्म नहीं हो रहा है.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष के इस फैसले पर अब 2014 में रायबरेली से उनके खिलाफ चुनाव हार चुके भाजपा नेता एवं वकील अजय अग्रवाल ने निशान साधा है. अजय अग्रवाल ने कहा है कि पूरे देश और रायबरेली की नब्ज़ भांपते हुए सोनिया गांधी ने यह सीट छोड़कर राज्यसभा जाने फैसला लिया है. अग्रवाल का कहना है कि अगर इस बार वह रायबरेली से चुनाव लड़ती तो उन्हें हार का सामना करना पड़ता.
जनता के लिए कुछ नहीं करने का लगाया आरोप
अजय अग्रवाल ने कहा कि रायबरेली ने पहले सोनिया गांधी के ससुर फिरोज गांधी, फिर उनकी सास इंदिरा गांधी तथा फिर उन्हें सांसद बनाया, लेकिन रायबरेली आज भी पिछड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने रायबरेली के विकास एवं यहां की जनता की खुशहाली के लिए कुछ नहीं किया. अग्रवाल ने रायबरेली का विकास नोएडा की तर्ज पर करने की बात कहते हुए सोनिया गांधी के पिछले पांच साल में एक बार भी रायबरेली का रुख नहीं करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनेकों जन कल्याणकारी योजनाओं से फल फूल रहा है.
अग्रवाल ने सोनिया गांधी के गिरते स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के कारण राज्यसभा जाने को बहाना बताते हुए कहा कि उनके द्वारा रायबरेली को लिखे गए पत्र में कोई दम नहीं है. उनका कहना है कि अगर ऐसा है तो उन्हें राजनीति से पूरी तरह संन्यास ले लेना चाहिए था, लेकिन सरकारी बंगला तथा सुविधाओं के कारण कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने राजस्थान से राज्यसभा में जाने का निर्णय लिया है.
कांग्रेस ने सोनिया गांधी को राज्यसभा भेजने का फैसला तब लिया है जब 2024 लोकसभा चुनाव की घोषणा में महीने भर से भी कम का समय बचा है. सोनिया गांधी रायबरेली सीट से 2004 से सांसद हैं.
रायबरेली से सोनिया का सफर
अमेठी और रायबरेली से सोनिया के राजनीतिक सफर की बात करें तो सोनिया गांधी ने 1999 में उत्तर प्रदेश के अमेठी और कर्नाटक के बेल्लारी से पहला चुनाव लड़ा. सोनिया दोनों जगह से जीतीं लेकिन वे अमेठी की सांसद बनी रहीं और बेल्लारी को छोड़ दिया. 2004 में वे अमेठी छोड़कर पड़ोस की सीट राय बरेली से मैदान में उतरीं और जीत हासिल कीं. रायबरेली का नेहरू-गांधी परिवार के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी से भी ऐतिहासिक संबंध हैं. 1952 में फिरोज गांधी पहली बार रायबरेली से जीते. इंदिरा भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं. सोनिया गांधी ने 2004, 2009, 2014 और 2019 में रायबरेली लोकसभा सीट जीती.