महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को खत्म करने और एक नया कानून– विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) लाने के लिए संसद में आज बिल पेश किए जाने की संभावना है. नए कानून में राज्य सरकारों को ज़्यादा खर्च करना होगा और यह मौजूदा काम के दिनों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 125 कर देगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कल लोकसभा में 'वीबी जी रामजी' बिल को इंट्रोड्यूस करेंगे. यह बिल मनरेगा कानून की जगह लेगा. केंद्र सरकार का मानना है कि इस कदम से ग्रामीण रोजगार को नई गति मिलेगी. यह विधेयक ग्रामीण भारत में रोजगार और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए एक नए विधायी ढांचे का प्रस्ताव करता है. सरकार का दावा है कि यह बिल ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा बदलाव लाएगा.
'वीबी जी रामजी' बिल का पूरा नाम 'विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' (VB-G RAM G) विधेयक है, जिसे लोकसभा सदस्यों के बीच पहले ही बांटा किया जा चुका है. यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) 2005 को निरस्त कर देगा. मनरेगा ग्रामीण सेक्टर में रोजगार की कानूनी गारंटी देने वाला एक ऐतिहासिक कानून रहा है, जिसे अब इस नए विधेयक से बदला जाएगा.
सरकार का नजरिया और विपक्ष के सवाल
केंद्र सरकार के मुताबिक, नया विधेयक ग्रामीण रोजगार को 'नई गति' देगा, जिसका मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को 'विकसित भारत 2047' के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के मुताबिक मजबूत करना है.
हालांकि, विपक्ष इस कानून को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है. विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों और आशंकाओं के कारण, संसद में इस विधेयक पर हंगामे की स्थिति बनना तय है.
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सदन में हंगामे की संभावना
नया विधेयक एक बड़े और स्थापित सामाजिक सुरक्षा कानून को बदलने वाला है, इसलिए लोकसभा में इस पर तीखी बहस और राजनीतिक टकराव देखने को मिल सकता है. विपक्ष की आपत्तियां और सरकार का जोर इस बात का संकेत देते हैं कि लोकसभा में इस बिल को पेश करने के दौरान संसदीय कार्यवाही बाधित हो सकती है.
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नए बिल पर विपक्ष हमलावर...
कांग्रेस ने सोमवार को MGNREGA की जगह लाए जा रहे बिल पर कड़ा विरोध जताया और कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने का तरीका कितना "खोखला और पाखंडी" है.
विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया कि विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025, अधिकारों पर आधारित गारंटी की "आत्मा पर हमला" करता है, इसे एक ऐसी योजना से बदल रहा है जो राज्यों और मजदूरों के "खिलाफ" है और महात्मा गांधी के आदर्शों का उल्लंघन करता है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने योजना का नाम बदलने पर सवाल उठाते हुए कहा, "ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी भी एक-दूसरे के विरोधी नहीं थे, बल्कि वे गांधी की चेतना के दो स्तंभ थे और ग्रामीण गरीबों के लिए एक योजना में महात्मा का नाम बदलना इस गहरे जुड़ाव को नज़रअंदाज़ करता है."
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'श्रमिकों के अधिकार छीनने नहीं देंगे...'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह सिर्फ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलने के बारे में नहीं है, बल्कि यह "MGNREGA को खत्म करने की BJP-RSS की साज़िश" है.
खड़गे ने सोशल मीडिया पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा, "RSS की शताब्दी पर गांधी का नाम हटाना दिखाता है कि विदेशी धरती पर बापू को श्रद्धांजलि देने के मोदी के हाव-भाव असल में कितने खोखले और पाखंडी हैं."
उन्होंने कहा, "सिर्फ़ वही सरकार MGNREGA पर हमला करेगी, जो गरीबों के अधिकारों से नफ़रत करती है. कांग्रेस पार्टी इस अहंकारी सरकार के किसी भी गरीब विरोधी और मजदूर विरोधी फैसले का संसद और सड़कों पर कड़ा विरोध करेगी. हम इस सरकार को लाखों गरीब लोगों, मजदूरों और श्रमिकों के अधिकार छीनने नहीं देंगे."
'सरकार की क्या मंशा है...'
कांग्रेस लीडर प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी MGNREGA का नाम बदलने के सरकार के कदम पर सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि महात्मा गांधी का नाम हटाने के पीछे सरकार की क्या मंशा है, जो न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के सबसे बड़े नेता हैं.
सरकार के इस कदम के बारे में पूछे जाने पर प्रियंका गांधी ने कहा, "जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो दफ्तरों, स्टेशनरी में बहुत सारे बदलाव करने पड़ते हैं, जिस पर पैसा खर्च होता है. तो, इसका क्या फायदा है? यह क्यों किया जा रहा है?"
उन्होंने संसद भवन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है. महात्मा गांधी को न सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में सबसे बड़ा नेता माना जाता है, इसलिए उनका नाम हटाने के पीछे, मुझे सच में समझ नहीं आ रहा कि मकसद क्या है. उनकी मंशा क्या है?" प्रियंका गांधी ने आगे कहा, "जब हम बहस भी कर रहे होते हैं, तो वह दूसरे मुद्दों पर होती है, लोगों के असली मुद्दों पर नहीं. समय बर्बाद हो रहा है, पैसा बर्बाद हो रहा है, वे खुद ही बाधा डाल रहे हैं."
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कांग्रेस महासचिव प्रभारी (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि पूरा विपक्ष मांग कर रहा है कि तीन दूरगामी बिल - उच्च शिक्षा आयोग बिल, परमाणु ऊर्जा बिल और जी-राम-जी बिल संबंधित स्थायी समितियों को भेजे जाएं. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि संसदीय परंपराओं और प्रथाओं के मुताबिक, सरकार इस मांग को मान लेगी. इन बिलों के लिए गहन अध्ययन और व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है."