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'बचत उत्सव या चपत उत्सव?', पीएम मोदी के ऐलान पर संजय सिंह ने उठाए सवाल

प्रधानमंत्री मोदी ने बचत उत्सव की शुरुआत की है, लेकिन विपक्ष ने इसे जनता को बहकाने वाला ड्रामा बताया है. नोटबंदी और जीएसटी जैसे पुराने फैसलों का हवाला देते हुए सवाल उठाया जा रहा है कि क्या यह भी 'चपत उत्सव' साबित होगा.

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संजय सिंह ने जीएसटी रिफॉर्म पर सवाल उठाए हैं. (Photo: X/@AAP)
संजय सिंह ने जीएसटी रिफॉर्म पर सवाल उठाए हैं. (Photo: X/@AAP)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देशभर में बचत उत्सव की शुरुआत की है. सरकार की ओर से इसे जनता की भलाई और आर्थिक अनुशासन से जोड़ा जा रहा है, लेकिन विपक्ष इसे जनता को बहकाने वाला एक और "ड्रामा" बता रहा है.

आलोचकों का कहना है कि मोदी सरकार का यह उत्सव भी पहले की तरह केवल दिखावा है. वे याद दिलाते हैं कि नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने कहा था, "भाइयों और बहनों, हमें 50 दिन दे दीजिए। अगर तकदीर नहीं बदली तो किसी भी चौराहे पर खड़ा करके फांसी दे देना."

हकीकत में नोटबंदी से न तो काला धन खत्म हुआ, न जाली नोट, न आतंकवाद. उल्टा, देश की जनता महीनों बैंक और एटीएम की लाइनों में खड़ी रही और सौ से अधिक लोगों की जानें चली गईं.

इसी तरह 2017 में जब जीएसटी लागू हुआ, तो सरकार ने इसे आर्थिक आजादी और "क्रांति" बताया. आधी रात संसद में इसका शुभारंभ हुआ और इसे उत्सव की तरह मनाया गया, लेकिन आम लोगों और छोटे कारोबारियों पर टैक्स का बोझ कई गुना बढ़ गया.

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संजय सिंह ने कहा कि आखिर यह बचत उत्सव है या चपत उत्सव? क्योंकि बार-बार बड़े ऐलान और जश्न के नाम पर जनता की जेब पर ही बोझ डाला जाता है.

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