वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सरल तरीके से बताया कि यह कैसे योजना बनकर और समझदारी से चलाया गया. उन्होंने समझाया कि इस मिशन की सफलता में कुछ बातें खास रहीं. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात थी राजनीतिक इच्छाशक्ति. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि क्यों कम समय में ही ऑपरेशन सिंदूर रोकना सही फैसला था.
चीफ मार्शल एपी. सिंह ने कहा कि पिछली बार बलाकोट स्ट्राइक के बाद अक्सर पूछा गया कि कुछ क्यों दिखाई नहीं दे रहा, लेकिन इस बार एक बहुत अच्छी बात हुई कि नेतृत्व ने स्पष्ट दिशा दी और योजनाबद्ध कार्य के लिए बिल्कुल आज़ादी दी गई. उन्होंने बताया, “हमारे नेतृत्व ने हमें पूरी आजादी दी, किसी प्रकार के प्रतिबंध नहीं लगाए गए. तीनों सेवाएं एक साथ बैठीं, साथ में प्लानिंग हुई, CDS और अन्य एजेंसियां, NSA का भी बड़ा योगदान रहा.”
'...तो शायद कई लोगों की जान जा सकती थी'
पाकिस्तान के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार पर भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा, "पाकिस्तान ने अपने कुछ हवाई क्षेत्र बंद नहीं किए थे. उनके नागरिक विमान लाहौर के ऊपर उतर रहे थे और उड़ान भर रहे थे. इसलिए अगर हमने उस समय इसके बारे में नहीं सोचा होता, तो शायद कई लोगों की जान जा सकती थी. इसलिए, यह कुछ चुनौती थी जो हमारे सामने थी. उन विमानों की आड़ में पाकिस्तान ने अपने कुछ यूएवी, अपने ड्रोन, जो कि हमलावर ड्रोन हैं, को भी उड़ान भरने दिया. इसलिए, ये सभी इनपुट हमारे पास आ रहे थे. लेकिन हमने तय किया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें ऐसे किसी भी विमान को गलती से भी, नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए, जिसमें नागरिक या कोई अन्य गैर-सैन्य कर्मी हों."
ड्रोन और मैन-एंड-यूनमैन सिस्टम के संयोजन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ड्रोन बेहद उपयोगी हैं और किसी सिस्टम को संतृप्त कर सकते हैं, लेकिन युद्ध ड्रोन मात्र से नहीं जीता जा सकता. लंबी-सीमा, भारी-कैलिबर हथियार और ऐसे विमान आवश्यक हैं जो लंबी दूरी की मिसाइल दे सकें. इसलिए, मूल रूप से, हमें मानव-मानवरहित प्रणालियों के एक सुखद मिश्रण की आवश्यकता होगी.
ऑपरेशन में इस्तेमाल हुए LR-SAM और S-400 जैसे एयर-डिफेंस सिस्टम काफी प्रभावी साबित हुए. इनकी रेंज इतनी लंबी थी कि दुश्मन के विमान अपने ही इलाके में सुरक्षित नहीं रह पाए. इससे हम उन्हें लक्ष्य तक आने ही नहीं दे सके. वे कभी भी खतरे के बिना सीमा तक नहीं आ सकते थे और जो आते थे उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता था. इसलिए, यह एक गेम-चेंजर था."
'हमारा उद्देश्य आतंकवाद विरोधी था'
चीफ मार्शल ने ऑपरेशन सिंदूर को जल्दी खत्म करने का भी कारण बताया गया. उन्होंने कहा, "आज जो भी बड़े युद्ध चल रहे हैं, चाहे वह रूस-यूक्रेन के बीच हो या इजरायल युद्ध. वे चल ही रहे हैं, सालों बीत गए हैं, क्योंकि कोई भी संघर्ष समाप्ति के बारे में नहीं सोच रहा है. हमने सुना है कि लोग कह रहे हैं कि हमें भी थोड़ा और युद्ध करना चाहिए था. हमने युद्ध बहुत जल्दी रोक दिया. हां, वे (पाकिस्तान) पीछे हट गए थे, इसमें कोई शक नहीं, लेकिन हमारा उद्देश्य क्या था? हमारा उद्देश्य आतंकवाद विरोधी था. हमें उन पर हमला करना था. हमने वह किया.
'भारत से युद्ध खत्म करना सीखें'
उन्होंने आगे कहा कि अगर हमारा उद्देश्य पूरा हो गया है, तो हमें युद्ध क्यों नहीं खत्म करना चाहिए? हमें इसे जारी क्यों रखना चाहिए? क्योंकि किसी भी युद्ध की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. यह अगले युद्ध के लिए हमारी तैयारियों को प्रभावित करेगा. यह हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा. यह देश की प्रगति को प्रभावित करेगा. इसलिए, मुझे लगता है कि दुनिया यही भूल रही है. उन्हें नहीं पता कि जब हमने युद्ध शुरू किया था तो हमारा लक्ष्य क्या था. अब उनका लक्ष्य बदल रहा है. अहंकार बीच में आ रहा है. और यहीं पर मुझे लगता है कि दुनिया को भारत से सीखना चाहिए कि कैसे शुरुआत करनी चाहिए और कैसे समय पर युद्ध को खत्म करें.